मायनागुरी दुष्कर्म केस में कोर्ट ने आईपीएस की निगरानी में जांच का दिया निर्देश, पीड़िता के परिवार को सुरक्षा

 

कोलकाता । जलपाईगुड़ी जिले के मायनागुरी में नाबालिग बच्ची से सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या के सिलसिले में सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका पर कलकत्ता हाई कोर्ट में बुधवार सुनवाई हुई। कोर्ट ने आईपीएस अधिकारी की निगरानी में जांच का निर्देश दिया है। साथी पीड़िता के पिता को सुरक्षा देने का निर्देश भी दिया गया है। दरअसल मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव की खंडपीठ में हो रही सुनवाई के दौरान पीड़िता के पिता ने सीबीआई जांच की मांग वाली अपनी याचिका को रद्द करने और पुलिस जांच जारी रखने की गुजारिश की जिसे लेकर पुलिस पर गंभीर आरोप लगे। पीड़िता का पक्ष रख रहे अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि पुलिस ने घरवालों पर दबाव बनाया है और जबरदस्ती उनसे एफआईआर पर साइन करने को भी कहा है। यहां तक की सीजर लिस्ट पर उंगली के निशान भी जबरदस्ती लिए गए हैं और परिवार का डुप्लीकेट हस्ताक्षर भी पुलिस कर रही है। अधिवक्ता ने दावा किया कि पीड़ित परिवार को पुलिस वाले डरा रहे हैं और परिणाम भुगतने की धमकी दी है जिसकी वजह से वह डर के मारे सीबीआई जांच की मांग नहीं कर रहे हैं। अधिवक्ता ने कहा कि दुष्कर्म और हत्या की घटना के एक महीने से अधिक का वक्त बीत जाने के बावजूद पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने पीड़िता के पिता को अपने चेंबर में बुलाया और करीब 15 मिनट तक उनसे बातचीत की है। सूत्रों ने बताया है कि उन्होंने बच्ची के पिता से जानना चाहा है कि उन पर किसी तरह का कोई दबाव तो नहीं है। पुलिस वाले अथवा सत्तारूढ़ पार्टी से जुड़े किसी ने डराया धमकाया है या नहीं।
हालांकि बच्ची के पिता ने क्या जवाब दिया है इस बारे में तो स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है लेकिन सुनवाई के दौरान पीड़ित का पक्ष रख रहे वकील ने दावा किया कि भले ही पिता कह रहे हैं कि उन्हें सीबीआई जांच नहीं चाहिए लेकिन पीड़िता की बहन सीबीआई जांच चाहती है। हालांकि याचिका सुष्मिता दत्त ने लगाया है। उन्होंने कहा कि पुलिस लगातार डरा रही है घटना की सीबीआई जांच होनी ही चाहिए। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी की निगरानी में जांच का निर्देश दिया। इसके बाद पीड़िता के पिता को सुरक्षा का निर्देश भी दिया है।
उल्लेखनीय है कि मायनागुरी दुष्कर्म पीड़िता के परिवार से नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी मिले थे और आरोप लगाया था कि पुलिस वाले दुष्कर्मियों को बचा रहे हैं क्योंकि मोटी रकम घूस के तौर पर दी गई है। वारदात को अंजाम देने वाले सत्तारूढ़ पार्टी से जुड़े हुए हैं।

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