लक्ष्य को साध लिया जिसने फिर कोई रोक नहीं सकता उपलब्धियों को आने से
यह सम्मान ख्याति लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार स्वं.श्री महेन्द्र कुमार जी दुबे की स्मृति में प्रदत्त किया जायेगा
जनरल रंजीत सिंह की अगुवाई में होगा भव्य कार्यक्रम
चिंतन जब भावों का अनुगामी बन अभिव्यक्ति का रूप लेता है, तब कवयित्री अंजली द्वारा मार्मिक रचनाओं का जन्म होता है, कवयित्री अंजली ने मध्यप्रदेश के शिवपुरी में प्रकृति की रमणीयता और सुपूजित उपत्यकाओ में स्थित श्रृध्या और भक्ति को मानों साकार होते देखा, उनकी लिखी रचनाएं “भावों का भव्य आलोक”-है अंजली ने सीनियर जर्नलिस्ट मनोज दुबे को बताया , उन्होंने प्रकृति के परिवेश में अपना चिंतन और मनन कर प्रकृति से तादात्म्य स्थापित कर लिखना शुरू किया है
मुझे साहित्यकार साहित्यिक विभूति “रमा”जी की वो लिखा हुआ संस्मरण याद आ गया ऐसे हाथ जो दिन में छैनी, और हथोड़े से पत्थरों काट छांट कर सुडौल बनाते तथा अध्यरात्रि पर्यन्त तक कलम लेकर कागज पर भाव , शिल्प, गढ़ते हैं बिरले होते हैं यह शब्द थे साहित्यिक विभूति “रमा जी” के लेखक मनोज दुबे सीनियर जर्नलिस्ट ने लिखा, कि साहित्यकार कवयित्री अंजली का चिंतन , और निखरे और भविष्य की धरोहर बन जाये उन्होंने आगे। लिखते हुए कहा कि जीवन केसा हो यह कीर्ति बताया करती है , कीर्ति का मापदंड आयुष्य के मापदंडों से नहीं हुआ करता आपका चिंतन भविष्य की धरोहर है, कवयित्री अंजली की इस साहित्य कला के लिए लिखा है, अंजली की इस तपस्या और आत्मबल का”कला का काल”-कला जगत के लिए हमेशा हमेशा मंत्र भारित रहेगा
छोटे से शहर की एक लड़की के ऊँचे से अरमान होते हैं ये बताया शिवपुरी मध्यप्रदेश की कवियत्री अंजली गुप्ता ने इनको कविता लिखने का शौक तो छोटी उम्र से ही रहा पर वो डायरी तक ही सीमित रहा। पर ज़िद थी अपनी लेखनी को विस्तार देने की तो अभी दो साल पहले से फिर अपनी लेखनी की धार को पहना किया और सोशल मीडिया के माध्यम से समाज मे आमजन तक पहुँचाया ।
मात्र कुछ समय ही इनकी प्रतिभा सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर के रूप में उभरकर सामने आई और इन्होंने अपनी कविताओं ,गीत ग़ज़लों को विभिन्न राष्ट्रीय कविसम्मेलन की मंचों , टी वी चैनल , रेडियो चैनल्स के माध्यम से लोगों के दिलों तक पहुँचाया ।और इस प्रकार राष्ट्रीय स्तर पर एक कवियत्री के रूप में पहचान बनाई और सरस्वती मां की कृपा से आंखों में सपने संजोय अपनी काव्ययात्रा के रथ को आगे बढ़ाने में लगी हुई हैं
सरस्वती माँ के आशीर्वाद से ये निरंतर लिखती रहीं और इनकी रचनाएं अख़बारों की सुर्खियां बनती गईं और कवियत्री के रूप में ये अपने शहर से देशभर भर में अपनी पहचान बना पाईं। उसके बाद शुरू हुआ सफ़र मंचो पर जाने का वहाँ भी इन्होंने अपने ह्रदय में बह रहे अविरल प्रेम को ग़जलों कविताओं में पिरोकर अपने भाव को उन्मुक्त आकाश में उड़ने दिया अंजली जी की रचनाओ में पूरी तरह से प्रेम का समावेश है क्योंकि इन्होंने सिर्फ प्रेम को लिखा ही नहीं अपितु पूरी तरह से जिया है तो जिसके ऊपर ईश कृपा हो वही इतना सहज सरल हो सकता है । इनकी कविता मुक्तक ,ग़ज़लों में पूरी तरह प्रेम का संदेश निहित है इनका मानना है कि आपकी बात में मुहब्बत से कहने का अंदाज़ होना चाहिए नफ़रत को तो लोग नज़र अंदाज़ करते हैं।क्योंकि ये कृष्णदीवानी है इसी नाम ने इन्हें अद्भुत पहचान दी
मनोज दुबे
लेखक सीनियर जर्नलिस्ट एवं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष है