मेरा भारत महान : रावेल पुष्प 

मेरा भारत महान 

कोलकाता इज़ ए सिटी ऑफ़ जॉय

कितना गर्व करते थे हम

कि कोलकाता है आनंद का शहर

पर आज फिर कैसे बरस रहा यहां कहर दर कहर

  हैवानियत की इंतहा हो गई

 जब आरजी कर अस्पताल में

बीत रहा था रात का आखिरी पहर

 एक वहशी दरिंदे ने

 इंसानियत को कर दिया तार- तार

और रोगियों की सेवा में लगी

महिला युवा डॉक्टर की कर दी हत्या और बलात्कार

पहले हत्या फिर बलात्कार या पहले बलात्कार फिर हत्या

इस बात की भी चल रही है तकरार

 कोलकाता की सड़कों पर उतर गई हैं महिलाएं उनके हाथों में है मोमबत्तियां और रौशन मोबाइल

और कर लिया है रात का दखल

आकाश तक गूंज रही हैं आवाज़ें

हमें न्याय चाहिए, वे वांट जस्टिस !

पर क्या सत्ता के मद में चूर

अपनी चौकड़ी के साथ तथ्यों को मिटाने का सुरूर

 दे पाएंगे कोई सार्थक इंसाफ़

जनता को बरगलाने की बेहूदा नपुंसक कोशिश इतिहास कभी नहीं करेगा मुआफ़

क्योंकि अब जाग उठी हैं महिलाएं

साथ दे रहे बच्चे बूढ़े जवान

सारी डॉक्टर बिरादरी के साथ

आज खड़ा है आम इंसान

डॉक्टर को हम कहते हैं धरती पर भगवान

फिर कैसे यह कथन आज चुक गया

 और सारी इंसानियत का सर शर्म से झुक गया अपनी अंतरात्मा पर क्यों नहीं चुभता कोई कील जब आततायी के पक्ष में

खड़ा हो जाता है अदालत में

और ठठाकर हंसता है कोई वकील

उसकी हंसी पर हंसें या रोयें

अब आप ही बताएं

कैसे हो सकते हैं इतने बेशरम

और  लगाएं हम यहां जोर से ठहाके

 या फिर डूब मरें किसी दरिया में जा के

 चारो ओर उठता है शोर

बलात्कारी को फांसी दो, फांसी दो, फांसी दो पहले भी तो हुई थी

बलात्कारियों को फांसी

पर क्या रूक पाया ये सिलसिला

क्योंकि हमारे,आपके अन्दर ही है शैतान

 हमने स्कूल, कॉलेज धर्म स्थान तो बहुत बना लिये

 डॉक्टर वकील इंजीनियर ना जाने क्या-क्या

 पर अब हम क्यों न बनाएं

 एक ऐसा पुरअसर संस्थान

जहां बनें सिर्फ़ और सिर्फ इंसान

 तभी तो हम  गर्व से कह पाएंगे 

मेरा भारत महान, मेरा भारत महान, मेरा भारत महान!

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