डी वी सी में ट्रेड यूनियन चुनाव कर्मचारियों को रिझाने में लगे ट्रेड यूनियन, दिख रहे हैं बदलाव के संकेत

 

मैथन (संवाददाता): डी वी सी के कर्मचारी अपने पसंद की ट्रेड यूनियन को चुनने के लिए 28 अप्रैल को मतदान करेंगे। डी वी सी के सभी केंद्रों पर होने वाले चुनाव में इस बार ट्रेड यूनियनों के दो संयुक्त मोर्चों के बीच सीधा मुकाबला देखा जा रहा है। मुख्य संघर्ष लगातार दो बार से सबसे अधिक मत पाने वाली डी वी सी कामगार संघ(आई एन टी टी यू) के नेतृत्व वाले संयुक्त मोर्चा एवं श्रमिक यूनियन के नेतृत्व में बने संयुक्त मोर्चा के बीच है। कामगार संघ और झारखंड मजदूर संघ(झामुमो) संयुक्त मोर्चा बनाकर टाटा सूमो गाड़ी चुनाव चिह्न के साथ चुनाव मैदान में हैं। श्रमिक यूनियन(सिटू) के साथ डी वी सी स्टाफ एसोसिएशन(यूटीयूसी),डी वी सी कर्मचारी संघ(इंटक) एवं डी वी सी मजदूर यूनियन(एटक) मिलकर छाता चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ रहे हैं। दोनों संयुक्त मोर्चा से अलग डी वी सी मजदूर संघ(बी एम एस) पूरे चुनाव में तीसरा कोण बना रहा है। तीनों घटक अपने पूरे दमखम के साथ चुनाव मैदान में उतरे हैं। तीनों ही चुनाव में जीत दर्ज करने का दावा कर रहे हैं।
दावों से अलग पिछले दो बार के चुनावी आँकड़ों पर गौर किया जाए, तो एक साफ तस्वीर उभरती है। 2013 के चुनाव में डी वी सी कामगार संघ को सबसे अधिक मत मिले थे। डी वी सी श्रमिक यूनियन दूसरे स्थान पर थी। डी वी सी प्रबंधन ने तब दोनों यूनियनों को मान्यता प्राप्त यूनियन का दर्जा दिया था। 2017 के चुनाव में भी लगातार दूसरी बार डी वी सी कामगार संघ को अधिकतम मत मिले एवं डी वी सी श्रमिक यूनियन दूसरे स्थान पर थी। इस बार प्रबंधन ने केवल कामगार संघ को मान्यता प्राप्त यूनियन का दर्जा दिया।
2017 के चुनाव में डी वी सी कामगार संघ को 31 प्रतिशत मत मिले थे। डी वी सी श्रमिक यूनियन 30 प्रतिशत मतों के साथ दूसरे स्थान पर थी। डी वी सी स्टाफ एसोसिएशन को 26.5 प्रतिशत और डी वी सी कर्मचारी संघ को 12.5 प्रतिशत मत मिले थे। इस बार श्रमिक यूनियन के साथ स्टाफ एसोसिएशन और कर्मचारी संघ संयुक्त मोर्चे में शामिल हैं। यदि तीनों संगठनों को प्राप्त मतों को एक साथ जोड़ दिया जाए,तो यह 69 प्रतिशत तक पहुँच जाता है। इन आँकड़ों के आधार पर श्रमिक यूनियन के संयुक्त मोर्चा के नेताओं का दावा है कि वे महज जीत दर्ज करने के लिए चुनाव नहीं लड़ रहे हैं,बल्कि इस बार वे 75 प्रतिशत मत पाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। उन्हें कर्मचारियों के लिए किए गए अपने संघर्षों पर भरोसा है। दूसरी ओर, डी वी सी कामगार संघ भी काफी उत्साहित है। उनके नेताओं को भरोसा है कि डी वी सी के कर्मचारी उनके द्वारा किए गए कार्यों पर उन्हें वोट देंगे और उनका संगठन लगातार तीसरी बार भी जीत दर्ज करेगा। उनका यह भी दावा है कि बंगाल में तृणमूल काँग्रेस की सरकार होने के कारण वे ही डीवीसी प्रबंधन पर दबाव बनाने में सफल होते रहे हैं। डी वी सी मजदूर संघ भी पूरी ताकत के साथ चुनाव मैदान में है। उसे केंद्र में भाजपा की सरकार पर भरोसा है। उसके नेताओं का दावा है कि केंद्र में उनकी सरकार होने के कारण वे ही कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने में सक्षम हैं।
चार दिग्गज यूनियनों के साथ आने से इस बार तस्वीर कुछ अलग दिख रही है। पिछले आँकड़े खुद एक तस्वीर बयाँ कर ही रहे हैं, दूसरी ओर,कर्मचारी भी इस बार बदलाव के मूड में दिख रहे हैं। ऐसे में अबकी बार डी वी सी कामगार संघ की राह आसान नहीं लग रही है। दूसरी ओर, डी वी सी श्रमिक यूनियन के संयुक्त मोर्चे का पलड़ा भारी दिख रहा है। वैसे, चुनाव में हमेशा दो और दो चार नहीं होते।
गौरतलब है कि जिस ट्रेड यूनियन को सबसे ज्यादा मत मिलते हैं,उसे डी वी सी प्रबंधन मान्यता प्राप्त ट्रेड यूनियन का दर्जा देगा। प्रावधान के मुताबिक 50 प्रतिशत से अधिक मत हासिल करने वाले संगठन को प्रबंधन के साथ अकेले सौदेबाजी करने का अधिकार मिलता है। परन्तु,पिछले दो चुनावों में किसी भी संगठन को यह अधिकार हासिल नहीं हुआ था। देखा जाए, इस बार भी कोई संगठन इस अधिकार को प्राप्त करने में सफल होता है या नहीं !
28 अप्रैल को डी वी सी के सभी केंद्रों पर कुल 3846 कर्मचारी मतदान करेंगे। मतदान के बाद दुर्गापूर से लेकर कोडरमा तक की मत पेटियाँ मैथन लायी जाएंगी। 29 को कोलकाता के आसपास के केंद्रों की मतगणना डी वी सी टावर्स में होगी। बाकी केंद्रों की मतगणना मैथन में होगी।

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