धनबाद में औषधियों का पहाड़ बनायेगा पवित्रम सेवा परिवार

धनबाद/ कोलकाता, 23 अगस्त। धनबाद शहर की अग्रणी समाजसेवी संस्था पवित्रम सेवा परिवार एवं भारत की विख्यात कोयला उत्पादन कम्पनी बीसीसीएल (भारत कोचिंग कोल लि.) की पुटकी बलिहारी क्षेत्र ने मिलकर धनबाद को हरा भरा बनाने के लिए कल औषधिय पहाड़ बनाने जैसे एक अभिनव कार्यक्रम की शुरुआत की । इसके तहत नेहरू उद्यान, केंदुआ के सामने ओबी पहाड़ पर विभिन्न औषधियाँ जैसे गिलोय , हडजोड , पथर चटा, पीपल , बरगद , नीम आदि की 1000 कलमें एवं पौधे लगाए गए। ओबी(OB) का अर्थ है Over Burden. खदान से कोयला निकालने पर उससे मिट्टी सहित जो अन्य कचरा जमा होता है, वह स्तूप (पहाड़ ) जैसा बन जाता है , जिसे अंग्रेजी में Over Burden Dump कहते हैं।
इस तरह के अनूठे कार्य से धनबाद की पहचान अब हरियाली से हो सकेगी। इस प्रकार का कार्यक्रम धनबाद (झारखंड) में पहली बार आयोजित किया गया । दुर्गम ओबी पहाड़ पर बड़ी संख्या में महिला , पुरूष एवं वृद्ध जन उत्साह बनाये पर्यावरण रक्षा का संकल्प लिए पहुंचे | साथ ही बीसीसीएल के अधिकारी कर्मचारी भी इस कार्यक्रम में बड़े उत्साह के साथ दिखाई दिए । इनमें पवित्रम सेवा परिवार से लक्ष्मी मजूमदार, सुशील कुमार मिश्रा, आलोक प्रकाश, अशोक दुबे, संजय सिंघल, राकेश खण्डेलवाल, अमित अग्रवाल, मृदुला अग्रवाल , गुड्डू चौरसिया , तरून दत्ता , भूपेन्द्र अग्रवाल , संजय सिंघल, सुमन सौरभ , सुशील मिश्रा , मंजू बगडिया , हरी रामगुप्ता , अनिता सतनाषलिका , मीना गोयल , किरण वर्मा आदि का मुख्य सहयोग रहा। बीसीसीएल के अधिकारियों में मुख्यत: आशु गुप्ता , एल एल बरनवाल , उमेश मरांडी , निर्मल कुमार , अफरोज खान , शम्भु महतो , किशोरी पासी , बचू रविदास , रामकुमार , सुनील महतो वगैरह का योगदान रहा | BCCL महाप्रबंधक (साईडिंग) महेंद्र सिह दूत एवं पवित्रं सेवा परिवार के अध्यक्ष संजय भरतिया भी उपस्थित थे। संचालन अजय भरतिया ने किया।

ज्ञातव्य है कि पवित्रम वन महोत्सव पिछले कई महीनो से चल रहा है जिसके अंतर्गत स्कूल, कालेज, अन्य सार्वजनिक स्थानों पर पेड़ लगाए जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि कोयलांचल की बहुत बड़ी समस्या ओबी है। इसके समाधान स्वरूप यदि हर ओबी को बारहमासी औषधियों से आच्छादित कर दिया जाए तो वह समाज के लिए उपयोगी बन जाएगा और मिट्टी का कटाव रूकेगा। धनबाद की पहचान बदलेगी | धीरे धीरे ओबी को औषधीय पहाड़ के रूप में जाना जाने लगेगा।

सीताराम अग्रवाल

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