कोलकाता । पश्चिम बंगाल में हाल के दौर में हुई कई दिल दहलाने वाली घटनाओं में कोर्ट द्वारा लगातार सीबीआई जांच के आदेश दिए जाने की वजह से यहां की मौजूदा कानून व्यवस्था भी सवालों के घेरे में आ गई है। राज्य पुलिस प्रशासन से भरोसा किस कदर कम हुआ है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले 19 दिनों में छह मामलों में सीबीआई जांच का आदेश कलकत्ता हाई कोर्ट दे चुका है। देश के किसी भी दूसरे राज्य में इसके पहले ऐसा कभी नहीं हुआ कि एक के बाद एक दिल दहलाने वाली घटनाएं हों और सभी मामलों में सीबीआई जांच के आदेश दे दिए गए हों। इसे लेकर कानूनी विशेषज्ञों ने चिंता जाहिर की है। पश्चिम बंगाल के मशहूर नेता और दिग्गज अधिवक्ता विकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा कि राज्य में जिन सुरक्षा एजेंसियों को जांच करनी चाहिए वे पूरी तरह से विफल हो गई हैं और एक पार्टी के गुलाम की तरह काम कर रही हैं, इसलिए इस तरह के हालात बने हैं।
गत मंगलवार को हाई कोर्ट ने बंगाल के नदिया जिले के हांसखाली में 14 साल की लड़की से कथित दुष्कर्म व हत्या मामले की जांच भी सीबीआइ को सौंप दी है।
अदालत ने पुलिस से कहा है कि वो तत्काल सारे साक्ष्य सीबीआइ को सौंप दें। साथ ही हाई कोर्ट खुद इस दुष्कर्म कांड की जांच की निगरानी भी करेगा। इससे पहले मंगलवार दिन में हाई कोर्ट ने पुरुलिया जिले के झालदा में कांग्रेस पार्षद तपन कांदू हत्याकांड के मुख्य गवाह निरंजन वैष्णव की संदिग्ध मौत मामले की सीबीआइ जांच के आदेश दिए थे। वैष्णव, मृतक कांग्रेस पार्षद तपन कांदू हत्याकांड के चश्मदीद गवाह और उनके करीबी सहयोगी थे। पेशे से शिक्षक वैष्णव का शव छह दिन पहले उनके घर से फांसी के फंदे से झूलते हुए अवस्था में मिला था। मौके से एक सुसाइड नोट भी मिला था जिसमें वैष्णव ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए थे। यानी एक ही दिन में कलकत्ता हाई कोर्ट ने बंगाल में दो मामले की जांच सीबीआइ को सौंपी है। इससे पहले कलकत्ता हाई कोर्ट ने पिछले हफ्ते सोमवार को झालदा नगरपालिका के कांग्रेस पार्षद तपन कुंडू की हत्या की सीबीआइ जांच का आदेश दिया था। उससे 10 दिन पहले ही बीरभूम के रामपुरहाट में हुए नरसंहार की सीबीआइ जांच के आदेश भी दिया जा चुके हैं। स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) नियुक्ति घोटाले से जुड़े एक मामले की भी सीबीआइ जांच कर रही है।
वहीं, एसएससी से जुड़े तीन मामलों की कलकत्ता हाई कोर्ट की एकल पीठ की तरफ से सीबीआइ जांच के आदेश दिए गए थे, जिनमें से दो पर फिलहाल खंडपीठ का स्थगनादेश है। इसके अलावा बंगाल में विधानसभा चुनाव बाद हुई हिंसा और हल्दिया बंदरगाह पर रंगदारी वसूलने के एक मामले की भी केंद्रीय जांच एजेंसी तफ्तीश कर रही है। बंगाल में यूं तो विभिन्न मामलों की सीबीआइ जांच के आदेश दिए जा चुके हैं लेकिन हाल के महीनों में यह आंकड़ा तेजी से बढ़ा है।
इससे पहले वाममोर्चा के शासनकाल में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के नोबेल पदक की चोरी, छोटा अंगारिया नरसंहार व नंदीग्राम में फायरिंग की घटना की सीबीआइ जांच का आदेश दिया गया था। ममता सरकार में हुए बहुचर्चित सारधा चिटफंड घोटाले व नारदा स्टिंग आपरेशन कांड की भी सीबीआइ जांच कर रही है।
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क्या कहना है कानूनी विशेषज्ञों का
– कलकत्ता हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और कोलकाता के पूर्व मेयर रहे विकास रंजन भट्टाचार्य ने इस स्थिति को लेकर राज्य सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़ा किया। उन्होंने कहा कि आम जनता अपनी सुरक्षा के लिए राज्य सरकार के भरोसे रहती है। लेकिन राज्य की सुरक्षा एजेंसियां इस तरह से एक पार्टी का गुलाम हो गई हैं कि वह अपना काम नहीं कर पा रही हैं। पुलिस को जो करना चाहिए उसमें वह पूरी तरह से विफल है इसीलिए लोग कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे हैं और गंभीर से गंभीर अपराध के मामलों में भी कोर्ट को राज्य प्रशासन को छोड़ सीबीआई जांच का आदेश देना पड़ा है जो राज्य कानून व्यवस्था की विफलता का प्रमाण है।
हाईकोर्ट में तृणमूल समर्थकों द्वारा पैदा की गई अराजकता का जिक्र किया और कहा कि अब तो जज को भी धमकाने की कोशिश हो रही है लेकिन वे सफल नहीं होंगे। विकास रंजन ने कहा कि बंगाल में एक के बाद एक मामलों की सीबीआई जांच के आदेश यहां ध्वस्त हो रही व्यवस्थाओं की कलई खोलने वाला है।