– पहाड़ियों से समतल तक मन्नतों की मंजिल, भक्ति पथ पर आस्था की हिलोर
– चारधाम यात्रा चरम पर, अबतक 27 लाख 24 हजार 679 तीर्थयात्री नवाए शीश
देहरादून, 27 जून । देवभूमि…ये आस्था की डगर है। नंगे पांव, लंबा सफर, पहाड़ी रास्ता और हर हर महादेव, बम-बम भोले का उन्माद भरा मंत्र। पहाड़ियों से समतल तक ये मन्नतों की मंजिल बदस्तूर जारी है। देवाधिदेव श्रीकेदारनाथ की महिमा से अभिभूत भक्त मनोकामना पूर्ति के लिए ये डगर अपनाते हैं। देवभूमि उत्तराखंड की विश्व विख्यात चारधाम यात्रा का अनुभव एक अद्भुत रोमांच है। इस भक्ति पथ से पर्यटन को पंख लगेगा और उत्तराखंड राज्य विश्व फलक पर आर्थिक शक्ति बनकर उभरेगा।
देवभूमि धार्मिक महत्व के साथ अपनी प्राकृतिक आभा के लिए भी वैश्विक पटल पर भारत के आध्यात्मिक ऐश्वर्य एवं सौंदर्य को अंकित करता है। इसी सुरम्य परिवेश में भगवान भोलेनाथ का प्रसिद्ध ज्योर्तिलिंग केदारनाथ स्थित है। प्रसिद्ध 12 ज्योतिॄलगों में से एक अपने रुद्र रूप में भगवान शिव 3584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ धाम में स्वयंभू शिव के रूप में विराजमान हैं। हिमालयी राज्य उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ धाम विश्व की आस्था एवं आध्यात्मिक चेतना का पर्याय है। चारधाम यात्रा पर आने वाले तीर्थयात्रियों में सबसे अधिक क्रेज केदारनाथ धाम को लेकर है। इन दिनों चारधाम यात्रा को लेकर भक्ति पथ पर आस्था की हिलोर दिख रही है। वहीं श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर प्रशासन से लेकर शासन स्तर के अधिकारी ग्राउंड जीरो पर है और यात्रा सुचारू रूप से चल रही है। 10 मई से शुरू हुई चारधाम यात्रा में अब तक 27 लाख 24 हजार 679 तीर्थयात्री आ चुके हैं। चारधाम यात्रा कंट्रोल रूम से जारी रिपोर्ट के अनुसार केदारनाथ धाम में अब तक सबसे अधिक नौ लाख 90 हजार 340 तीर्थयात्री शीश नवा चुके हैं। वहीं बद्रीनाथ धाम में 784260, यमुनोत्री धाम में चार लाख 61 हजार 157 तो गंगोत्री धाम में चार लाख 88 हजार 922 श्रद्धालु हाजिरी लगा चुके हैं। उधर, हेमकुंड साहिब में अब तक एक लाख 14 हजार 927 श्रद्धालु मत्था टेक चुके हैं।
आस्था के सम्मान के साथ सुविधाएं बढ़ने से धार्मिक पर्यटन को मिली नई पहचान
उत्तराखंड की विश्व विख्यात चारधाम यात्रा का क्रेज साल दर साल बढ़ता जा रहा है। आस्था के सम्मान के साथ सुविधाएं बढ़ने से उत्तराखंड के धार्मिक पर्यटन को नई पहचान मिली है। इन दिनों चारधाम यात्रा पर देश-दुनिया से आने वाले तीर्थयात्री अच्छा अनुभव लेकर गए तो आने वाले वर्षों में तीर्थयात्रियों की संख्या में वृद्धि होगी।