नई दिल्ली. मुंबई, दिल्ली या अन्य शहरों में आप रहते हैं और होली की छुट्टी में ट्रेन से अपने गांव या कस्बा जाने की योजना है तो साथ में चादर, तकिया रखना मत भूलिएगा. खासकर वे लोग जिनका टिकट एसी कोच का है, सफर काफी लंबा है और रात ट्रेन में बितानी पड़ेगी. अब आप कह सकते हैं कि रेलवे ने तो बेडरोल देने की घोषणा कर दी है तो फिर इसकी क्या जरूरत है. हम आपको बता दें कि इसकी जरूरत अभी भी है क्योंकि रेलवे के आदेश के बावजूद ट्रेन में बेडरोल की सुविधा नहीं मिल रही है.
बेडरोल में यात्रियों को चादर, तकिया और कंबल मुहैया कराया जाता है. ऐसे में अगर आप बेडरोल लेकर नहीं चलते हैं तो आपको परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. दरअसल, रेलवे ने कोरोना काल के दौरान संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए बेडरोल की सुविधा (Bedroll in Trains) को बंद कर दिया था. साथ ही एसी डिब्बों से परदे भी हटा दिए थे.
आखिर क्या है वजह
दरअसल, ट्रेनों में प्राइवेट कंपनियां बेडरोल सुविधा मुहैया कराती हैं. इसके लिए टेंडर जारी किए जाते हैं. लॉकडाउन के दौरान जब ट्रेनों में बेडरोल बंद कर दिए गए थे तो प्राइवेट कंपनियों के टेंडर भी रद्द कर दिए गए. लिहाजा प्राइवेट कंपनियों ने काम करना बंद कर दिया. करीब दो साल तक यह सुविधा बंद रही. अब जब दोबारा बेडरोल देने के आदेश रेलवे की ओर से दिए गए हैं तो इसके लिए पहले टेंडर प्रक्रिया पूरी करनी होगी. इसके बाद ही रेल यात्रियों को चादर, कंबल, तकिया जैसी सुविधाएं मिल सकेंगी.
स्टेशन से खरीद सकते हैं डिस्पोजेबल बेडरोल
यात्रियों को जल्द से जल्द बेडरोल मुहैया कराने के लिए रेलवे ने जरूरी प्रक्रिया शुरू कर दी है. रेलवे का कहना है कि यात्रियों की सुविधा को लेकर रेलवे पूरी तरह से संकल्पित है. रेल यात्रियों की जरूरतों को देखते हुए रेलवे ने डिस्पोजेबल बेडरोल की सुविधा शुरू की थी, जिसे यात्रा के दौरान पैसेंजर स्टेशन से खरीद सकते हैं. हालांकि, यह काफी महंगा पड़ता है, खासकर उन यात्रियों के लिए जो परिवार के साथ जा रहे हैं.