वाराणसी ; पूर्व महंत पं• लोकपति तिवारी जी बताया कि पुर्वजों के समय से प्राचीन काल से चली आ रही काशी की लोक परंपराओं में से एक रंगभरी एकादशी महोत्सव मेरे परिवार द्वारा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में संपन्न करवाई जाती रही है, जिसमें आज की के दिन बाबा विश्वनाथ माता पार्वती को विदाई कराने अपने ससुराल जाते हैं और उनकी गौना पालकी यात्रा निकाली जाती है ।
यह परंपरा पूर्व में हमारे पुराने महंत आवास से चली आ रही है जिसमें सुबह 11:00 बजे महंत आवास पर बाबा का भोग आरती कर काशी के सभी भक्तों को रजत प्रतिमा का दर्शन करवाया जाता है जो शाम को लगभग 05:00 बजे होता है उसके बाद बाबा विश्वनाथ की प्रतिमा को रजत सिंहासन के पालकी पर बिठाकर विश्वनाथ मंदिर तक ले जाकर गर्भगृह में विराजमान कर बाबा भक्तों के साथ होली खेलते हैं और इस दिन से ही काशी में होली की शुरुआत हो जाती है ।
पं लोकपति तिवारी जी ने बताया कि पिछले 2 वर्षों से यह परंपरा हमारे नए महंत आवास पर निभाई जाती है जिसको विवाद के चलते मंदिर प्रशासन द्वारा मेरे बड़े भाई डॉक्टर कुलपति तिवारी जी द्वारा बनवाई गई एक नकली प्रतिमा से परंपरा को संपन्न करवाया जा रहा है जो प्रशासनिक विवाद का मसला है कुलपति तिवारी जी का आवास टेढ़ी नीम पर है जो वर्तमान में विवाद होने के कारण मैंने बाबा के असली रजत चल प्रतिमा के दर्शन को अपने महंत आवास पर ही काशी के सभी भक्तों के लिए सुगम दर्शन की व्यवस्था कर दिया जिससे जनता की पुरानी आस्था को कोई ठेस ना पहुंचे ।