श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय द्वारा डॉ. नीरजा माधव को ‘डॉ. हेडगेवार प्रज्ञा सम्मान 2021

 

कोलकाता । कोलकाता महानगर की सुप्रसिद्ध साहित्यिक-सामाजिक-सांस्कृतिक संस्था श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय द्वारा ‘डॉ. हेडगेवार प्रज्ञा सम्मान’ के 32वें वर्ष का सम्मान प्रख्यात राष्ट्रवादी कवयित्री डॉ. नीरजा माधव (वाराणसी) को राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय अनछुए पहलुओं पर उनके लेखन हेतु आगामी शनिवार 26 मार्च को स्थानीय रथीन्द्र मंच में आयोजित एक विशेष समारोह में प्रदान किया जायेगा। सम्मान स्वरूप उन्हें एक लाख रुपये की राशि एवं मानपत्र भेंट किया जायेगा। पुस्तकालय के मंत्री महावीर प्रसाद बजाज ने गुरुवार को यह जानकारी दी है।
डॉ. नीरजा माधव का जन्म 15 मार्च 1962 को उत्तरप्रदेश के जौनपुर जिले के कोतवालपुर में हुआ। पिता मथुरा प्रसाद तथा माता विमला देवी के प्रखर राष्ट्रवादी परिवार में पालित पोषित डॉ. नीरजा ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एमए एवं पीएचडी की उपाधि ग्रहण की। वह फिलहाल ऑल इंडिया रेडियो, गोरखपुर में सहायक निदेशक के रूप में कार्यरत हैं। उनका विद्यार्थी जीवन से ही लेखन की ओर झुकाव रहा तथा 27 वर्ष की आयु में आपकी प्रथम काव्य पुस्तक “प्रथम छंद से स्वप्न’ प्रकाशित हुई। उपन्यास विधा की सिद्ध लेखिका डॉ. नीरजा ने समाज के अनछुए एवं अनसुलझे पहलुओं को अपने साहित्य में स्थान दिया। इनके लेखन में भारतीय दर्शन, धर्म और मूल्यों की एक नवीन दृष्टि मिलती है। अपनी चार काव्य, नौ कहानी संग्रह, 11 ललित निबंध तथा 12 उपन्यास यानी कुल 36 मौलिक पुस्तकों के लेखन से साहित्य के भण्डार को समृद्ध किया है। 2002 में भारतीय समाज में घोर अभिशप्त माने जाने वाले “किन्नर समुदाय’ के अन्तरंग जीवन पर शोधपरक मार्मिक गाथा “यमदीप’ का प्रकाशन उनकी सृजन यात्रा में मील का पत्थर साबित हुआ। तदुपरांत भारत विभाजन जैसी ऐतिहासिक त्रासदियों पर केन्द्रित ‘तेभ्य स्वधा’ (2004), तिब्बत राष्ट्र की अस्मिता एवं आज़ादी आन्दोलन पर केन्द्रित “गेशे जम्पा’ (2006) और देनपा : तिब्बत की डायरी (2014) तथा वैचारिक कृति “अर्थात् राष्ट्रवाद’ (2021) के प्रकाशन ने उन्हें साहित्य के क्षेत्र में विशिष्ट पहचान दी है। 2017 में प्रकाशित “भारत राष्ट्र और उसकी शिक्षा पद्धति’ कृति को भी व्यापक सराहना प्राप्त हुई है। उनकी गद्य लेखन की विशेषता रही है भाव प्रवणता, विचार दग्धता तथा विविधतापूर्ण शैली। ललित निबंध, कथा साहित्य तथा नारी विमर्श की प्रभावी लेखिका के रूप में वह सुविख्यात हैं। सर्जना पुरस्कार, यशपाल पुरस्कार, मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी पुरस्कार, शंकराचार्य पुरस्कार, राष्ट्रधर्म गौरव सम्मान आदि अनेक सम्मानों से अलंकृत डॉ. नीरजा माधव राष्ट्रीय चिन्तन धारा की एक सशक्त लेखिका हैं।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 1990 में कुमारसभा द्वारा प्रवर्तित डॉ हेडगेवार प्रज्ञा सम्मान का पहला सम्मान संस्कृत के मूर्धन्य विद्वान एवं चिंतक डॉ श्रीधर भास्कर वर्णेकर को तथा गत वर्ष 2020 का सम्मान सुपर कंप्यूटर के विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. विजय भटकर (पुणे) को प्रदान किया गया था।
महावीर प्रसाद बजाज ने बताया कि इस सम्मान श्रृंखला के अन्तर्गत चिन्तकों, विचारकों, कलाकारों, पत्रकारों तथा वैज्ञानिक के अतिरिक्त जिन साहित्यकारों को सम्मानित किया जा चुका है, उनमें प्रमुख हैं- डॉ. विद्यानिवास मिश्र, डॉ. एस.एल. भैरप्पा, डॉ. नरेन्द्र कोहली, डॉ. कृष्ण बिहारी मिश्र, डॉ. कमल किशोर गोयनका तथा डॉ. शिव ओम अम्बर।

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