
अपने बल बूते पर तय किया गृहणी से लेकर उद्यमी तक का सफर,परिजनों का मिला पूरा सहयोग
दुर्गापुर। कभी नारी को अबला कहा जाता था.लेकिन आज के इस दौर में नारी में काफी बदलाव आ गया है.वह अबला नहीं सबला हो गई है.अब नारी महज रसोई तक सिमटी नहीं है,न ही वह भोग्या है.अब वह ना केवल पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है.बल्कि अब वह पुरुष से कही आगे निकल चुकी है.आज महिला दिवस के मौके पर हमलोग बात कर रहे है शिल्पांचल की उस महिला उद्यमी राधा सारदा भट्टड की जो एक साधारण सी गृहणी से लेकर उद्यमी तक का सफर अपने बल बूते पर तय किया है.हालाँकि उनके इस सफर में उनके परिजनों और जीवन साथी राकेश भट्टड का विशेष हाथ रहा है.बताया जाता है की मालदा में जन्मी राधा भट्टड का बीते तीस साल पहले शहर के नामचीन उद्यमी भट्टड परिवार में हुआ था.इन बीते तीस सालो के अंदर उन्होंने अपनी तीन बेटियों के साथ साथ पुरे परिवार का ख़ास ख्याल रखा.लेकिन इन सब के बीच उन्हें कुछ अलग करने की चाह थी.जिसे लेकर उन्होंने अपने पति के साथ व्यापार में हाथ बटाना शुरू किया.बीते पन्द्रह सालो से पति के व्यापार में पूरा साथ दिया.कोरोना के दौरान अपने को अपडेटेड करते हुए तकनिकी शिक्षा हासिल की साथ ही आठ महीने का बिज़नेस मास्टरी का कोर्स किया.जिसके बाद उन्होंने व्यापार को अपने कंधे पर ले लिया.और अपने साथ कई महिलाओ को जोर रखा है.उन्हें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रही.व्यापार के साथ साथ वह सामाजिक कार्यो में वह बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेती है.शहर में होने वाले सामाजिक कार्यो में उनकी भागेदारी हमेशा अहम रही है.
