आसनसोल:- कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) पश्चिम बंगाल के चेयरमैन सुभाष अग्रवाला ने रविवार कोलकाता सारांश को बताया कि विदेशी निवेश की ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा कदाचार और कानूनों और नियमों के उल्लंघन के खिलाफ भारत के गैर-कॉर्पोरेट क्षेत्र को एक छतरी के नीचे लाने के लिए कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने बड़ी संख्या में विभिन्न राष्ट्रीय स्तर के संगठनों और देश भर के राज्यों में चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, का आह्वान किया है की वे देश के व्यापार के 11 बड़े संगठनों द्वारा हाल ही में गठित संयुक्त टास्क फ़ोर्स में शामिल होकर ई कामर्स पर अपनी आवाज़ संयुक्त रूप से बुलंद करें ।
ऐसे राष्ट्रीय संगठनों और चैंबर ऑफ कॉमर्स को आज भेजे गए एक पत्र में कैट ने ग़ैर कोरपोरेट क्षेत्र का एक बड़ा गठबंधन बनाने के लिए आमंत्रित किया है ताकि वैश्विक ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा प्रस्तावित ई-कॉमर्स नीति को लागू करने के किसी भी संभावित प्रयास को विफल किया जा सके जो कि वाणिज्य मंत्रालय के डीपीआईआईटी द्वारा प्रारूपण चरण में है।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी. सी.भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि कैट ने 150 से अधिक राष्ट्रीय व्यापार संगठनों, लघु उद्योगों, ट्रांसपोर्टरों, ट्रक ड्राइवरों, उपभोक्ताओं, किसानों, स्वरोजगार समूहों, महिला उद्यमियों, फेरीवालों और अन्य उद्यमों के संघों को निमंत्रण भेजा है। विभिन्न राज्यों में काम कर रहे चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री अपने-अपने राज्यों के व्यापारियों का प्रतिनिधित्व करते हैं और राज्यों में संघों के छत्र निकायों के रूप में जाने जाते हैं और उनके द्वारा संयुक्त टास्क फ़ोर्स में शामिल होने से ई-कॉमर्स के मुद्दों देश के हर गली नुक्कड़ तक ले जाया जा सकेगा।
श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल ने कहा कि अतीत में जब भी सरकार ने ई-कॉमर्स परिदृश्य में सुधारात्मक कार्रवाइयां लाने का प्रयास किया, तो यह देखा गया कि वैश्विक ई-कॉमर्स कंपनियां और उनके कुछ निहित स्वार्थी समर्थक और तथाकथित थिंक टैंक आदतन एक भयावह डिजाइन को उठाते हैं जो की एफडीआई की मूल भावनाओं को हतोत्साहित करता है जो पूरी तरह से निराधारहै। गैर-कॉर्पोरेट क्षेत्र की ताकत के साथ समर्थित संयुक्त टास्क फ़ोर्स इस बार ई-कॉमर्स नीति की प्रक्रिया को पटरी से नहीं उतरने देगा। इसीलिए कैट ने संघों का एक बड़ा संघ बनाने का फैसला किया है। ई-कॉमर्स नीति अब जल्द ही देश भर में लागू करने के लिए सरकार पर दबाव डाला जाएगा ।