काकू को हाई कोर्ट से राहत नहीं, आवाज के नमूने की जांच रहेगी जारी

 

कोलकाता, 9 जनवरी  । कलकत्ता हाई कोर्ट की एकल पीठ के बाद सुजयकृष्ण भद्र को खंडपीठ से भी राहत नहीं मिली है। न्यायमूर्ति सौमेन सेन की खंडपीठ ने न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा की आवाज के नमूने एकत्र करने के आदेश में हस्तक्षेप नहीं किया। वॉयस सैंपल की आगे की प्रक्रिया पर अंतिम फैसला जस्टिस तीर्थंकर घोष लेंगे।
सुजयकृष्ण भद्र ने न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा के आदेश को चुनौती देते हुए खंडपीठ में याचिका दायर की थी।
बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस सौमेन सेन ने कहा कि कानून के मुताबिक हर आरोपित के कुछ अधिकार हैं। कानून के मुताबिक वह यह सैंपल देने से इनकार कर सकता है. इसके बाद ईडी ने पूछा, “हम जांच कैसे खत्म करेंगे?” पूरा राज्य हमारे खिलाफ है। हर पोस्ट पर जांच को रोका जा रहा है। हमारे जांच अधिकारियों को पीटा जा रहा है। एफआईआर दर्ज की जा रही है। जस्टिस अमृता सिन्हा के आदेश में क्या गलत है? उन्होंने आदेश में लिखा है कि जस्टिस तीर्थंकर घोष के आदेश के बिना वॉयस सैंपल को ट्रायल में सबूत के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

इसके बाद जस्टिस सौमेन सेन ने रुख स्पष्ट करते हुए कहा, ”जस्टिस अमृता सिन्हा ने सुजयकृष्ण भद्र की आवाज के नमूने इकट्ठा करने का आदेश देकर सही काम नहीं किया।” न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा का आदेश गलत है क्योंकि इसी विषय पर एक मामला न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष की पीठ में लंबित है। यह न्यायिक बुनियादी ढांचे और न्यायिक आचरण नियमों का उचित उदाहरण नहीं है। यह एक गंभीर प्रवृत्ति है। अगर ईडी ने जस्टिस तीर्थंकर घोष के निर्देश के बारे में जस्टिस अमृता सिन्हा को जानकारी नहीं दी तो उन्होंने गलत किया है। जब मामला एक पीठ में लंबित है तो दूसरी पीठ उस आदेश को लागू करने का आदेश क्यों देगी? ईडी को जस्टिस तीर्थंकर घोष से संपर्क करना चाहिए था।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Open chat
1
Hello
Can we help you?