‘कैश फॉर क्वेरी’ मामले में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता रद्द, आचार समिति ने की थी निष्कासन की सिफारिश

नई दिल्ली: ‘कैश फॉर क्वेरी’ मामले में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता को रद्द कर दिया गया है। वहीं सदन में महुआ मोइत्रा को टीएमसी सांसद के रूप में निष्कासित करने का प्रस्ताव पारित होने के बाद विपक्ष ने वॉकआउट किया।

एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट आज सदन में पेश की गई। दरअसल, लोकसभा ने आचार समिति की उस रिपोर्ट को मंजूरी प्रदान कर दी, जिसमें तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा को निष्कासित करने की सिफारिश की गई है।

भाजपा विधायक विनोद कुमार की अध्यक्षता वाली टीम ने अपनी रिपोर्ट में “कड़ी सजा” के साथ-साथ सरकारी जांच की मांग की। मोइत्रा पर आरोप है कि उन्होंने संसद में प्रश्न पूछने के लिए नकद और अन्य उपहार लिए। लंबी रिपोर्ट में कहा गया है, ‘महुआ मोइत्रा के अत्यधिक आपत्तिजनक, अनैतिक, जघन्य और आपराधिक आचरण के मद्देनजर, समिति भारत सरकार द्वारा समयबद्ध तरीके से गहन, कानूनी, संस्थागत जांच की सिफारिश करती है।’

समिति ने ‘क्विड प्रो क्वो’ के हिस्से के रूप में महुआ मोइत्रा और दर्शन हीरानंदानी के बीच नकद लेनदेन के ‘मनी ट्रेल’ की “कानूनी, संस्थागत और समयबद्ध” जांच की भी सिफारिश की। एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट में मोइत्रा के ‘अनैतिक आचरण’ की आलोचना करते हुए उन्हें एक अनधिकृत व्यक्ति के साथ अपने लोकसभा लॉगिन क्रेडेंशियल साझा करने के लिए ‘सदन की अवमानना’ में रखा गया।

दस्तावेज़ में दुबे द्वारा अक्टूबर में प्रस्तुत की गई मूल शिकायत और वकील जय अनंत देहाद्राई का एक पत्र – दोनों अक्टूबर के मध्य में दिनांकित – और साथ ही दर्शन हीरानंदानी का एक नोटरीकृत हलफनामा शामिल था। इसने साथी सांसद दानिश अली को “अनियंत्रित आचरण और अफवाहें फैलाने” के लिए ‘चेतावनी’ देने का भी आह्वान किया।

 

गौरतलब है कि भाजपा सांसदा निशिकांत दुबे ने मोइत्रा पर उपहार के बदले व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी के इशारे पर अडानी समूह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने के लिए लोकसभा में सवाल पूछने का आरोप लगाया था।

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