केंद्र सरकार के मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ कोयला खदान श्रमिक कांग्रेस के ओर सें कुनुस्तोड़िया कोलियरी में पीट मीटिंग का आयोजन किया गया

 

जामुड़िया। ईसीएल के कुनुस्तोड़िया एरिया क्षेत्र के कुनुस्तोड़िया कोलियरी दो नंबर पिट पर सोमवार को तृणमूल कांग्रेस (आई एन टी टी यू सी) से संबंधित कोयला खदान श्रमिक कांग्रेस के ओर एक पीट मीटिंग का आयोजन किया गया। इस दौरान मुख्यरूप सें उपस्थित कोयला खदान श्रमिक कांग्रेस के महामंत्री सह विधायक हरेराम सिंह ने ईसीएल सें संबंधित एवं श्रमिकों के हितों के संदर्भ में कई बातें श्रमिकों के समक्ष रखी।
इस मौके पर कोयला खदान श्रमिक कांग्रेस के कुनुस्तोड़िया एरिया सचिव रामेश्वर भगत, कुनुस्तोड़िया कोलियरी शाखा सचिव संजय चौधरी, बालेश्वर मंडल,शेख ओकेश, धनजय कहार,जगन्नाथ सेठ, बिना पानी बाऊरी, शिशिर मंडल, ईद मोहम्मद, परवेज आलम एवं प्रमोद कोहार आदि सहित संगठन से जुड़े हुए कई कर्मी उपस्थित रहे।

इस मौके पर कोयला श्रमिकों के समक्ष अपना वक्तव्य रखते हुए महामंत्री सह विधायक हरे राम सिंह ने कहा कि वर्तमान केंद्र सरकार की नीति मजदूर विरोधी है.कोयला खदानों को निजी मालिकों के हाथों में सौंपने की फिराक में है उन्होंने कहा कि कोलियरी का राष्ट्रीयकरण कोयला मजदूरों के हित के लिए किया गया था.जब कोयला खदान निजी स्वामित्व के हाथों में थी तब श्रमिकों पर काफी अत्याचार होते थे। बाद में कोयला खदान के राष्ट्रीयकरण के बाद श्रमिकों के हितों में सुधार हुआ। फिर सें केंद्र सरकार के द्वारा कोयला खदानों को निजी मालिकों को सौंपने की कोशिश की जा रही है. एक बार मजदूर मान गए तो एक-एक करके केंद्र सरकार सभी कोयला खदानों को बिक्री कर देगी। कोयला मजदूर यहा से चले जाएंगे और मजदूर अपने सारे अधिकार खो देंगे और फिर अतीत के दिन लौट आएंगे।”

1973 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हाथों कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण किया गया ताकि मजदूरों का शोषण बंद हो सके और उनका मौलिक अधिकार मिल सके लेकिन वर्तमान सरकार एक बार फिर से खदानों को निजी हाथों में सौंपना चाहती है उन्होंने बताया कि हम सभी को एकजुट होकर केंद्र सरकार के इस नीति का विरोध करना है ताकि मजदूरों के हितों की रक्षा हो सके।
आगे उन्होंने कहा ईसीएल के अधिकारी अपनी मनमानी कर रहा है। कोयला मजदूरों की लगातार उपेक्षा की जा रही है। उन्होंने ईसीएल प्रबंधन को चेतावनी देते हुए कहा कि, विषम परिस्थिति में भी कोयला मजदूर लगातार काम कर रहे हैं। ऐसे में अगर उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाता है, तो वे आगे पूरे ईसीएल में काम ठप कर देंगे। जिसकी पूरी जिम्मेदारी प्रबंधन की होगी।

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