कोलकाता, 7 जून । 1990 के दशक में इस्लामिक जिहाद के नाम पर मौत के घाट उतारे गए हजारों कश्मीरी पंडितों और उसके बाद लाखों पंडितों के घाटी छोड़ने की कहानी दुनिया को उद्वेलित करती रही है। 2014 में जब से केंद्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार है उसके बाद से धरती के स्वर्ग कश्मीर में पंडितों की वापसी बहुप्रतीक्षित है। इस बारे में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता कविंदर गुप्ता का दावा है कि अगले साल डेढ़ साल में जम्मू कश्मीर में प्लान कर चुके पंडितों को वापस लाकर बसाने का काम शुरू कर दिया जाएगा।
कश्मीरी पंडितों की बर्बर सामूहिक हत्या की वारदात के तीन दशक बीत चुके हैं। उसके बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार विभिन्न जरिये से कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है। उन्हें घाटी में वापस लौटाने की प्रक्रिया शुरू हो रही है। फिलहाल कश्मीर में 70 फ़ीसदी आबादी मुसलमानों की है। इन कश्मीरी पंडितों को यहां से भगाया गया था अथवा वे हत्या और इस्लामिक जिहाद के डर से घाटी छोड़कर भागने को मजबूर हुए थे। उनके लिए अनंतनाग और श्रीनगर के राष्ट्रीय राजमार्ग के पास उपनगरी तैयार हो रही है। पहले चरण में चार हजार पंडित परिवारों को वहां लाया जाएगा।
फिलहाल भारतीय जनता पार्टी के सांगठनिक कार्यक्रम के सिलसिले में कोलकाता में मौजूद कविंदर ने कहा कि साल भर के अंदर उपनगरी के निर्माण के पहले चरण का काम पूरा हो जाएगा। उसके बाद पंडितों को यहां लाकर बसाने का काम शुरू कर दिया जाएगा।
उन्होंने यह भी दावा किया कि 90 के दशक में जिन लोगों ने कश्मीर छोड़ी उनमें से अधिकतर दिवंगत हो चुके हैं। उनकी पीढ़ियां जो फिलहाल मौजूद हैं वह देश के दूसरे राज्यों और शहरों में बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। कश्मीर की यादें उनके जेहन में नहीं हैं। और अधिकतर लोग उस तरह से घाटी में लौटने को इच्छुक नहीं है।
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कश्मीर में चुनाव के लिए भाजपा तैयार
– इसके अलावा जम्मू और कश्मीर में 2018 के जून के बाद से निर्वाचित सरकार नहीं है। 2019 में दूसरी बार सरकार गठन के बाद नरेन्द्र मोदी सरकार ने यहां धारा 370 हटा दी और जम्मू तथा कश्मीर को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया। उसके बाद से यहां चुनाव लंबित है। अब इसकी सुगबुगाहट तेज हो गई है। इसे लेकर जम्मू कश्मीर भाजपा के पूर्व अध्यक्ष रह चुके कविंदर गुप्ता कहते हैं कि उनकी पार्टी चुनाव के लिए तैयार है। गुप्ता ने कहा कि जम्मू कश्मीर में फारूक अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कांफ्रेंस है। महबूबा मुफ्ती की पार्टी डेमोक्रेटिक पार्टी है, सज्जाद लोन की पार्टी पिपल्स कॉन्फ्रेंस है और हाल ही में कांग्रेस छोड़े हुए वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने पीपल्स आजाद पार्टी तैयार की है। ये सारी पार्टियां निश्चित तौर पर भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ लड़ेंगी। उन्होंने स्वीकार किया कि जम्मू में तो भाजपा बहुत मजबूत है लेकिन कश्मीर में निश्चित तौर पर पार्टी संगठनात्मक तौर पर बहुत अच्छी नहीं है। इसलिए वहां सहयोगी दलों को समर्थन दिया जाएगा या निर्दलीय के तौर पर उम्मीदवार खड़े किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि 90 में से 50 सीटों पर चुनाव लड़ने का लक्ष्य लेकर भाजपा चल रही है। उनसे पूछा गया कि कश्मीर में कब चुनाव होंगे तो उन्होंने कहा कि यह तो चुनाव आयोग को तय करना है लेकिन जब भी होगा उसके लिए भाजपा अपनी तैयारी कर चुकी है।
कविंदर कहते हैं कि जम्मू कश्मीर में चुनाव के लिए पार्टी का दूसरा कोई मुद्दा नहीं होगा बल्कि केवल और केवल विकास पर फोकस किया जाएगा। उन्होंने बताया कि वैष्णव देवी मंदिर से 25 किलोमीटर दूर रेसाई के पहाड़ पर लिथियम के भंडार मिले हैं। इसके अलावा इसी क्षेत्र में नीलकांतमणि (सफायर) के खनिज मिले हैं। इसका किस तरह से इस्तेमाल देश के आर्थिक और सामरिक विकास के लिए किया जा सकता है इसकी रणनीति बन रही है। गुप्ता कहते हैं कि स्थानीय पार्टियां चाहे जितना पाकिस्तान का समर्थन करें या पाकिस्तान जाने की बात करें लेकिन कोई कहीं जाने वाला नहीं है। हमारे साथ ही कम या अधिक मुद्दों पर समझौता करके रहना होगा।
उनसे पूछा गया कि इसका मतलब है कि भारतीय जनता पार्टी कश्मीर में एक बार फिर अपना सुनहरा राजनीतिक भविष्य देख रही है और अगर ऐसा हुआ तो क्या आप मुख्यमंत्री बनेंगे? तो उन्होंने कहा, “निश्चित तौर पर भाजपा का भविष्य सुनहरा ही है और मुख्यमंत्री कोई भी हो सकता है। उसमें मैं भी हूं।”