कोलकाता। पिछले तीन वर्षों से प्रगति के पथ पर अग्रसर ब्रेथवेट एंड कंपनी लिमिटेड (बीसीएल) को रेल मंत्रालय की ओर से मिनीरत्न श्रेणी-एक का दर्जा मिल गया है। कोलकाता में आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान बीसीएल के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक यतीश कुमार ने कहा कि कंपनी के सभी कर्मियों के सामूहिक प्रयास से ही यह संभव हुआ है। श्री कुमार ने पूर्व में घाटे में चल रही कंपनी ने विगत तीन वर्षों में लाभ तो कमाया ही वरन खुद के लिए मिनीरत्न श्रेणी-एक को हासिल करके यह साबित कर दिया है कि ब्रेथवेट अपने ‘लक्ष्य 2025’ में 2500 करोड़ का बिजनेस ग्रोथ प्लान हासिल करने के साथ-साथ आईपीओ की ओर भी बढ़ेगी। उन्होंने आगे बताया कि सर्विस के विविध क्षेत्रों में अपना विस्तार कर ही यह कंपनी सरकार, कर्मचारियों और सहयोगियों के साथ से निरंतर नई ऊंचाइयां छू रही है। ज्ञातव्य हो कि पूर्व में केवल वैगन निर्माण तक ही बीसीएल सीमित थी लेकिन अब 10 से अधिक विविध व्यापार में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति बनाये हुए है। श्री कुमार की मानें तो कंपनी ने पिछले तीन वर्षों में चार रेटिंग अपग्रेडेशन प्राप्त किया है। बीसीएल के निदेशक (वित्त) कल्याण कुमार कोआरी ने बताया कि ब्रेथवेट की स्थापना वर्ष 1913 में तब के कलकत्ता (कोलकाता) में हुई थी और राष्ट्रीयकरण के बाद 1976 में सरकार की पूर्ण स्वामित्व वाला एक उपक्रम बन गया। वर्तमान में बीसीएल रेल मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है। इसकी उत्पाद श्रृंखला में रेलवे रोलिंग स्टॉक का निर्माण, पुराने रोलिंग स्टॉक की मरम्मत, रेट्रो फिटमेंट, वैगन कंपोनेंट्स की सब-असेंबली का निर्माण, रेलवे कार्यशाला का ओ एंड एम, सिविल जॉब्स सहित संरचनात्मक स्टील पुल शामिल हैं।
-बीसीएल की विश्वसनीयता, ब्रांड वैल्यू में इजाफा
वहीं कंपनी को मिनीरत्न श्रेणी-एक प्राप्त होने से ब्रेथवेट को कर्मियों और मानव संसाधन प्रबंधन, प्रशिक्षण, स्वैच्छिक अथवा अनिवार्य सेवानिवृत्ति योजनाओं आदि से संबंधित योजनाओं की संरचना और कार्यान्वयन की सुविधा मिलेगी, केवल महारत्न, नवरत्न और मिनीरत्न सीपीएसई को सेबी द्वारा विनियमित सार्वजनिक क्षेत्र के म्यूचुअल फंड की ऋण आधारित योजनाओं में निवेश करने की अनुमति है। अब इसका उपयोग ब्रेथवेट द्वारा निष्क्रिय निधियों के समुचित उपयोग के लिए किया जा सकता है। साथ ही श्री कुमार ने बताया कि कंपनी व्यापार के अवसरों, गुणवत्ता विक्रेताओं के आकर्षण, प्रतिभाशाली जनशक्ति के आकर्षण और सामग्री की प्रतिस्पर्धी इनपुट लागत आदि के संबंध में लाभप्रद स्थिति में रहेगी। मिनीरत्न श्रेणी-एक का दर्जा बीसीएल की क्रेडिट योग्यता, विश्वसनीयता और ब्रांड छवि में आवश्यक सुधार करेगा।