कोलकाता । पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और राज्य सरकार के बीच अब विभिन्न विभागों में परामर्श दाताओं की नियुक्ति संबंधी राज्य सरकार की नई अधिसूचना को लेकर नए सिरे से टकराव शुरू हुआ है। राज्यपाल ने आरोप लगाया है कि परामर्शदाता नियुक्ति की प्रक्रिया अपारदर्शी है और इसमें पक्षपात तथा पसंदीदा लोगों को लाभ देने की आशंका है। इसे लेकर उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव हरी कृष्ण द्विवेदी को एक बार फिर राज भवन कोलकाता में तलब किया है। मंगलवार को राज्यपाल ने इस संबंध में मुख्य सचिव के नाम एक पत्र लिखा है जिसमें विभिन्न विभागों में सलाहकार और वरिष्ठ सलाहकारों की नियुक्ति संबंधी फैसले के बारे में दस्तावेज और अपनाई गई सभी प्रक्रियाओं की जानकारियां उपलब्ध कराने को कहा है। एक सप्ताह का समय देते हुए राज्यपाल ने कहा है कि मुख्य सचिव को राजभवन में आकर इस बारे में विस्तृत जानकारी देनी होगी।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य के विभिन्न विभागों में 40 सलाहकार और वरिष्ठ सलाहकारों की नियुक्ति संबंधी अधिसूचना जारी की है। सचिवालय की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि विभिन्न विभागों की परियोजनाओं की निगरानी और बेहतर कार्यान्वयन के लिए ऐसे लोगों को परामर्शदाता के तौर पर नियुक्त किया जाएगा जो संबंधित क्षेत्रों में बड़े प्राइवेट सेक्टर में उन कार्यों का अनुभव रखते हैं। अथवा ऐसे सरकारी अधिकारी रहे हैं जो सेवानिवृत्त हैं और अनुभवी हैं। इसे लेकर वरिष्ठ भाजपा विधायक और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने भी सवाल खड़ा किया था। उन्होंने कहा था कि राज्य के बेरोजगार युवा नौकरी की तलाश में दूसरे राज्यों में जा रहे हैं जबकि बंगाल सरकार सेवानिवृत्त प्राइवेट कर्मचारियों को नौकरी और लाभ देने के लिए काम कर रही है।
इन नियुक्तियों संबंधी अधिसूचना पर मंगलवार सुबह के समय भी राज्यपाल ने ट्वीट कर सवाल खड़ा किया था।