कोलकाता । पश्चिम बंगाल के निवर्तमान राज्यपाल जगदीप धनखड़ की यादों को ताजा करते हुए नवनियुक्त राज्यपाल डॉक्टर सी वी आनंद बोस ने भी बुधवार को कोलकाता हाई कोर्ट में वकीलों के बेलगाम प्रदर्शन को लेकर राज्य प्रशासन को ठोस चेतावनी दी है। बुधवार को उन्होंने कोलकाता पुलिस आयुक्त विनीत गोयल और मुख्य सचिव हरिकृष्ण द्विवेदी को बुलाकर स्पष्ट निर्देश दिया है कि हाईकोर्ट में जो घटना हुई है, वह शर्मिंदा करने वाले हैं। सुरक्षा व्यवस्था इस तरह से नहीं चलती है। हाई कोर्ट में न्यायाधीश के गेट के बाहर वकील अराजक परिस्थिति बना रहे हैं। एक दूसरे पर हमला कर रहे हैं। वकीलों को कोर्ट में घुसने से रोका जा रहा है। न्यायाधीश के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्टर लग रहे हैं। नारेबाजी हो रही है। यह नहीं होना चाहिए और ऐसा होने भी नहीं दिया जाना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि इस तरह की घटना भविष्य में बिल्कुल नहीं होनी चाहिए। यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी राज्य प्रशासन की है। इसके साथ ही उन्होंने न्यायाधीश राजशेखर मंथा को पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया है। दरअसल, सोमवार को न्यायाधीश राजशेखर मंथा के कोर्ट के बाहर तृणमूल समर्थित सैकड़ों वकीलों ने विरोध प्रदर्शन और नारेबाजी करते हुए गेट जाम कर दिया था। कोर्ट में प्रवेश करने की कोशिश करने वाले अन्य वकीलों के साथ मारपीट की गई थी। न्यायाधीश के घर के बाहर उनके खिलाफ कई आपत्तिजनक पोस्टर लगाए गए थे और आपत्तिजनक नारेबाजी भी हो रही थी। लगातार दो दिनों तक ऐसा होता रहा जिसके बाद न्यायमूर्ति मंथा ने इस मामले में अदालत की अवमानना का रोल जारी किया था। इसके बाद बुधवार सुबह के समय राज्यपाल ने कोलकाता पुलिस आयुक्त और मुख्य सचिव को इसी मामले में जब तलब किया तो राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में न्यायाधीश मंथा के समक्ष दुख जाहिर किया है। राज्य के महाधिवक्ता सोमेंद्र नाथ मुखर्जी ने कहां है कि कोर्ट के अंदर जो भी घटना हुई है वह दुखद है। उल्लेखनीय है कि इसके पहले राज्य के राज्यपाल जगदीश धनखड़ ही थे जो ऐसे मुद्दों पर राज्य सरकार के खिलाफ लगातार मुख्य रहते थे और अमूमन मुख्य सचिव और पुलिस के आला अधिकारियों को तलब कर कड़े कदम उठाने के निर्देश देते थे। इसकी वजह से सरकार और राजभवन के बीच लगातार टकराव होता रहता था। उल्लेखनीय है कि पिछले साल दिसंबर महीने में डॉक्टर सी वी आनंद बोस की नियुक्ति पश्चिम बंगाल के स्थाई राज्यपाल के तौर पर हुई है। उसके बाद से वह लगातार राज्य सरकार के साथ बेहतर तालमेल बनाकर चल रहे हैं। ऐसे में आज पहली बार ऐसा हुआ है जब किसी मामले में उन्होंने राज्य सरकार के आला अधिकारियों को बुलाकर चेतावनी दी है।