सूरत/अहमदाबाद :देश की आजादी के 75 साल 15 अगस्त को पूरे हो रहे हैं। केंद्र सरकार ने आजादी का अमृत महोत्सव के तहत 13 से 15 अगस्त तक हर घर तिरंगा फहराने का आह्वान किया है। इसके बाद देशभर में तिरंगे की मांग बढ़ गई है। गुजरात में सभी खादी भंडारों में राष्ट्रध्वज का स्टॉक खत्म हो गया है। तिरंगा की मांग को पूरा करने के लिए सूरत में पांच करोड़ मीटर कपड़े से 10 करोड़ से अधिक झंडे बनाए गए हैं। इस कार्य में दो लाख लोगों को रोजगार मिला है। इस तिरंगे को देश के कोने-कोने में भेजने के लिए हवाई जहाज, ट्रेन, ट्रक आदि का इस्तेमाल किया जा रहा है। कपड़ा मंत्रालय ने कई राज्यों के व्यापारियों के साथ बैठक की लेकिन किसी ने भी इस आदेश को स्वीकार नहीं किया क्योंकि केवल 35 दिन शेष थे। केवल सूरत के व्यापारियों ने इतने कम समय में इस कार्य को पूर्ण कर दिखाया।
केन्द्र सरकार के नियम बदलने के बाद अब पॉलिएस्टर से तिरंगे बनाए जा सकते हैं। सूरत में भी स्थानीय निर्मित पॉलिएस्टर के कपड़े से बनाए गए हैं। लेकिन अब प्लास्टिक के झंडे का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।
इस संबंध में कपड़ा उद्योगपति कैलाश हकीम ने बताया कि कपड़ा व्यापारियों के पास अभी भी देशभर से तिरंगा बनाने के लिए फोन आ रहे हैं। लक्ष्मीपति साड़ियों के चेयरमैन संजय सरौगी ने बताया कि सूरत ने 35 दिन में 10 करोड़ तिरंगे का ऑर्डर पूरा कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि हमारी फैक्टरी में तिरंगा बनाते समय कर्मचारियों ने अपने चप्पल और जूते उतार कर काम किया था। उन्होंने बताया कि तिरंगे की सिलाई के लिए दो लाख लोगों को रोजगार मिला। इनमें अधिकांश महिलाएं शामिल हैं।