गुरु-महिमा
ईश्वर से गुरु है बड़ा, जानत सकल जहान
पर बिन गुरुकी कृपासे,हरि ना मिलिहें मान
हरि ना मिलिहें मान, मान सम्मान दिलावें
गुरु ही ब्रह्मा विष्णु, शिवा पितु मातु कहावें
कहते गिरिधर राय- गुरु ही हैं परमेश्वर
बड़े भाग्य से मिलें, गुरुके रूपमें ईश्वर
शिक्षा और भारत
शिक्षा शिक्षक शिष्य का, सुंदर हो परिवेश
तीनों में हो संतुलन , चमके अपना देश
चमके अपना देश, सभी को यह बतलाएँ
विश्वगुरु था भारत, आत्मगौरव समझाएँ
कहते गिरिधर राय- शून्य की दी थी दीक्षा
है समृद्ध वह देश, जहाँ पे घर-घर शिक्षा
डॉ गिरिधर राय