गुरु पूजन परम्परा भारत में हिन्दू, सिख, जैन और बौद्ध, सभी धर्मों में समान रूप से है – स्वामी त्रिभुवनपुरी

कोलकाता । श्री रामेश्वरनाथ महादेव मन्दिर में भागवताचार्य स्वामी त्रिभुवनपुरी महाराज ने वृन्दावन – मथुरा से पधारे प्रभाकर कृष्ण महाराज से भारत में सनातन वैदिक संस्कृति, राष्ट्रोत्कर्ष अभियान पर चर्चा की । स्वामी त्रिभुवनपुरी महाराज ने कहा भारतीय संस्कृति में गुरु-शिष्य परम्परा प्राचीन काल से चली आ रही परम्परा है । यह परम्परा हिन्दू, सिख, जैन और बौद्ध, सभी धर्मों में समान रूप से है । भारत में यह परम्परा सनातन धर्म की सभी विचारधाराओं में मिलती है । गुरु-शिष्य की यह परम्परा ज्ञान के किसी भी क्षेत्र में हो सकती है, जैसे- स्कूल – कॉलेज शिक्षा, अध्यात्म, संगीत, कला, वेदाध्ययन, वास्तु आदि । वैदिक, सनातन संस्कृति में गुरु का बहुत महत्व है । कहीं गुरु को ब्रह्मा-विष्णु-महेश कहा गया है तो कहीं गोविन्द । गुरुकुल, आश्रम में गुरु-शिष्य परम्परा का निर्वाह होता रहा है । गुरु की भूमिका समाज को सुधार की ओर ले जाने वाले मार्गदर्शक के रूप में है । गुरु का ज्ञान और नैतिक बल, उनका शिष्यों के प्रति स्नेह तथा निःस्वार्थ भाव प्रेरणादायक है, भक्त में होती है, गुरु के प्रति पूर्ण श्रद्धा । श्री रामेश्वरनाथ महादेव मन्दिर में गुरुपूर्णिमा उत्सव 10 जुलाई को मनाया जायेगा ।
सत्संग भवन के ट्रस्टी पण्डित लक्ष्मीकांत तिवारी, दीपक मिश्रा ने श्रद्धालु भक्तों से सत्संग भवन में गुरु पूर्णिमा उत्सव में उपस्थित रह कर अक्षय पुण्य अर्जित करने का निवेदन किया ।

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