कोलकाता । साध्वी प्रियरंजना श्रीजी, साध्वी दिव्यांजना श्रीजी, साध्वी शुभांजना श्रीजी ने जैन भवन द्वारा प्रवर्तिनी शशिप्रभा श्रीजी की प्रथम पुण्य तिथि पर आयोजित गुणानुवाद सभा में श्रावक – श्राविकाओं को भाव विभोर करते हुए कहा धर्म की साधना, अध्यात्म से जीवन का उत्कर्ष हो, यही चातुर्मास का उद्देश्य है । तप, आराधना के साथ समता सिद्धान्त का पालन करना चाहिए । प्रवचन का उद्देश्य परमात्मा की वाणी, बताए मार्ग का अनुसरण करना है । सकारात्मक चिंतन करने से आत्मीय सुख मिलता है । प्रवर्तिनी शशिप्रभा जी के प्रति भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा प्रवर्तिनी शशिप्रभा जी ने जीवन में अज्ञान रूपी अंधकार को दूर कर धर्म के प्रति चेतना, नैतिक कर्तव्य का पालन करने की प्रेरणा दे कर ज्ञान का प्रकाश किया । सभी से स्नेह करने वाली शशिप्रभा जी का आकस्मिक परलोकगमन, मोक्ष जैन समाज के लिये अपूरणीय क्षति है । जैन भवन के अध्यक्ष कमल सिंह रामपुरिया, सचिव अजय चंद बोथरा, चन्द्र कुमार बोथरा, विकास दफ्तरी, अमित बोथरा, सुनील जौहरी, नवरतन सुराणा एवम् कार्यकर्ता सक्रिय रहे ।