डटकर भूख हड़ताल कर रहे चार योग्य शिक्षक बीमार होकर अस्पताल में भर्ती, हालत गंभीर

 

कोलकाता, 16 जून ।पश्चिम बंगाल में स्कूलों में शिक्षक नियुक्तियों को लेकर चल रहे विवाद के बीच चार ‘योग्य’ शिक्षकों की तबीयत रविवार रात को अचानक बिगड़ गई। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नौकरी गंवा चुके इन शिक्षकों ने 12 जून की रात से पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) के कार्यालय के पास भूख हड़ताल शुरू की थी। लगातार चौथे दिन रविवार रात को इनमें से चार की तबीयत बिगड़ गई, जिनमें आंदोलन का प्रमुख चेहरा चिन्मय मंडल भी शामिल हैं।

बीमार शिक्षकों में चिन्मय मंडल के अलावा सुकुमार सरन, अचिन्त्य कुमार और विकास रॉय शामिल हैं। इनमें से मंडल को एन.आर.एस. मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, जबकि अन्य तीन को आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

रविवार को मेडिकल सर्विसेज सेंटर नामक स्वैच्छिक चिकित्सक संगठन के प्रतिनिधियों ने धरना स्थल पहुंचकर सभी की स्वास्थ्य जांच की। जांच में पाया गया कि पांच लोगों की हालत बेहद नाजुक है और तुरंत अस्पताल में भर्ती कराना जरूरी है। पहले तो इन आंदोलनकारियों ने भर्ती होने से इनकार कर दिया, लेकिन हालत लगातार बिगड़ने पर डॉक्टरों की सलाह माननी पड़ी।

डॉ. सौम्यदीप रॉय ने बताया कि चिन्मय मंडल की हालत विशेष रूप से गंभीर है। उनके रक्त में शुगर लेवल बेहद कम हो गया है और मूत्र में कीटोन बॉडीज़ पाई गई हैं। रॉय ने यह भी कहा कि धरनास्थल की साफ-सफाई की हालत भूख हड़ताल के अनुकूल नहीं है, जिससे इतनी जल्दी सबकी तबीयत बिगड़ गई।

धरना दे रहे ‘योग्य’ शिक्षकों ने साफ किया कि वे आयोग द्वारा घोषित नई भर्ती परीक्षा में हिस्सा नहीं लेंगे।
‘योग्य शिक्षाक-शिक्षिका अधिकार मंच’ के बैनर तले प्रदर्शन कर रहे मेहबूब मंडल ने कहा कि हमने पहले ही पूरी प्रक्रिया के तहत परीक्षा पास की थी। हमें फिर से परीक्षा देने की कोई जरूरत नहीं है। अगर सरकार और आयोग ‘दागी’ और ‘बेदाग’ उम्मीदवारों की अलग सूची जारी करे, तो पहले कलकत्ता हाईकोर्ट और फिर इस साल अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ‘योग्य’ उम्मीदवारों की नौकरी रद्द नहीं करते।

गौरतलब है कि तीन अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट की पीठ—जिसमें तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार शामिल थे—ने कोलकाता हाईकोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा जिसमें डब्ल्यूबीएसएससी के जरिए की गई 25 हजार 753 नियुक्तियां रद्द कर दी गई थीं। अदालत ने कहा था कि आयोग यह स्पष्ट करने में विफल रहा कि कौन ‘दागी’ है और कौन ‘बेदाग’, इसलिए पूरी चयन सूची को रद्द करना पड़ा।
अब राज्य सरकार और डब्ल्यूबीएसएससी ने इस फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर की है।

 

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