1 जुलाई से नदी से बालू निकालने पर पूर्ण प्रतिबंध, जिलाधिकारी ने बैठक में लिया निर्णय

प्रतिबंध के बावजूद क्या बंद होगा अवैध बालू खनन और तस्करी का खेल

दामोदर नदी के तिराट, बल्लभपुर और कई जगह वैध की आड़ में अवैध बालू कारोबार

अजय नदी के चुरुलिया और पांडेश्वर घाट में भी सक्रिय है बालू माफिया, हो रही चोरी

आसनसोल । पश्चिम बर्दवान जिला शासक एस पुन्नाबलम की अध्यक्षता में जिला सैंड कमेटी की महत्वपूर्ण बैठक बीते दिन आयोजित की गई. बैठक में आगामी 1 जुलाई से मानसून के दौरान नदी तलहटी से बालू निकालने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया गया है. यह कदम बरसात के मौसम में नदियों के पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने और बाढ़ जैसे खतरों को कम करने के लिए उठाया गया है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन के इस कदम के बाद वैध हो या अवैध बालू का कारोबार बंद होगा? क्या बालू की तस्करी पर रोक लगेगी? क्योंकि यह बात किसी से छिपी नहीं है कि दामोदर और अजय नदी के विभिन्न घाट से वैध की आड़ में अवैध बालू का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है. चाहे वो अवैज्ञानिक तरीके से बालू निकालने का मामला हो या बालू लदे वाहनों में ओवरलोडिंग का और या फिर बालू लदे वाहनों के चालान में गड़बड़ी का! हर एक स्तर पर इन दोनों नदियों के विभिन्न घाट पर वैध की आड़ में कुछ न कुछ गलत देखने को जरूर मिल जाता है. लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ विशेष देखने को नहीं मिलता. अब जिलाशासक ने जिला सैंड कमेटी की महत्वपूर्ण बैठक कर 1 जुलाई से मानसून के दौरान नदी तलहटी से बालू निकालने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है. इस बैठक को लेकर जिला शासक एस पुन्नाबलम ने बताया था कि जिले में वर्तमान में 15 लाइसेंस होल्डर बालू खनन के कार्य में शामिल हैं.उन्होंने सभी लाइसेंस धारकों को इस आदेश का कड़ाई से पालन करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि मानसून के दौरान नदियों में जलस्तर बढ़ने और पर्यावरणीय जोखिमों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है. बालू खनन पर रोक से नदियों का प्राकृतिक प्रवाह बना रहेगा और पर्यावरण को नुकसान नहीं होगा. बैठक में यह भी चर्चा हुई थी कि मानसून समाप्त होने के बाद खनन गतिविधियों की समीक्षा की जाएगी और स्थिति के अनुसार आगे का निर्णय लिया जाएगा. जिला शासक ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि इस आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी, जिसमें लाइसेंस रद्द करना और कानूनी कार्रवाई शामिल हो सकता है. इसके अतिरिक्त कमेटी ने अवैध बालू खनन पर भी कड़ा रुख अपनाने का फैसला लिया. जिला प्रशासन ने स्थानीय लोगों से अपील की है कि वे अवैध खनन की किसी भी गतिविधि की सूचना तुरंत प्रशासन को दें. यह निर्णय न केवल पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से महत्वपूर्ण है,
बल्कि स्थानीय समुदायों की सुरक्षा और नदियों के दीर्घकालिक संरक्षण के लिए भी आवश्यक है. जिला प्रशासन ने सभी हितधारकों से सहयोग की अपील की है, ताकि इस आदेश का प्रभावी ढंग से पालन हो सके. अब जिलाशासक द्वारा बैठक कर स्थानीय लोगों से जो अपील की गयी है कि वे अवैध खनन की किसी भी गतिविधि की सूचना तुरंत प्रशासन को दें, जिसके बाद लोगों में इसे लेकर सवाल उठने लगे है. लोगों का कहना है कि सामान्य रूप से ग्रामीणों द्वारा अवैध बालू खनन, बालू ओवरलोडिंग आदि का विरोध करने पर धमकी मिलती है, झूठे मामलों में फंसा दिया जाता है, तो ऐसे में कौन इन अवैध बालू खनन करने वालों के खिलाफ शिकायत करेगा? क्योंकि इन बालू माफियाओं की पकड़ कहे या सेटिंग काफी ऊंची है, पुलिस के भी कई अधिकारियों का हाथ इनके सर पर है तो इन बालू माफियाओं के खिलाफ कौन बोलने की हिम्मत करेगा. मालूम हो कि दामोदर और अजय नदी के बराकर, डिसरगढ़ से लेकर बर्नपुर के कालाझरिया, सुर्यनगर, रानीगंज के तिराट, बल्लभपुर, पांडेश्वर, अंडाल, जामुड़िया, चुरुलिया आदि जगहों पर अवैध और वैध स्तर पर जमकर बालू खनन चल रहा है. लेकिन इन सब के खिलाफ कोई विशेष कार्रवाई होती नहीं दिखती. अब जिलाशासक ने स्वयं मोर्चा संभाल लिया है तो क्या 1 जुलाई से वैध या अवैध बालू खनन और तस्करी पर रोक लगेगी, या फिर 1 जुलाई तक बालू माफिया इन दोनों नदियों से जमकर बालू उठाव करेंगे, इसे लेकर फिलहाल यही कहा जा रहा

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