सुंदरबन में पर्यटकों के प्रवेश पर रोक, वन्यजीवों की प्रजनन सुरक्षा के लिए 15 जून से 15 सितंबर तक प्रतिबंध

 

कोलकाता, 7 जून  । बरसात के मौसम में सुंदरबन में पर्यटकों की आवाजाही पर पूर्ण प्रतिबंध लागू रहेगा। पश्चिम बंगाल के वन विभाग ने इस साल भी 15 जून से 15 सितंबर तक की अवधि के लिए यह सख्त कदम उठाया है। प्रतिबंध का मकसद बाघ, हिरण, मगरमच्छ और अन्य वन्यजीवों सहित मछलियों की प्रजनन प्रक्रिया को सुरक्षित माहौल देना है। इस दौरान सुंदरबन में न केवल पर्यटकों का प्रवेश रोका जाएगा, बल्कि जंगल से संसाधन संग्रह और नदियों-खाड़ियों में मछली पकड़ने जैसी गतिविधियों पर भी पूर्ण प्रतिबंध रहेगा।
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जून से अगस्त तक सुंदरबन में अधिकांश मछलियों और कई वन्य प्रजातियों का प्रजनन काल होता है। इस दौरान पर्यटकों या व्यापारिक गतिविधियों की उपस्थिति से उनके जीवनचक्र में बाधा आ सकती है। इस कारण विभाग ने शांत और सुरक्षित वातावरण बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया है, ताकि प्रजनन दर में वृद्धि हो और वन्यजीव निर्बाध रूप से विचरण कर सकें।

पर्यावरणविदों का मानना है कि यह कदम सुंदरबन की जैवविविधता को बनाए रखने और पारिस्थितिक संतुलन के लिए बेहद जरूरी है। वर्ष 2019 से लागू इंटीग्रेटेड रिसोर्सेज मैनेजमेंट प्लान (आईआरएमपी) की सिफारिश के तहत ही हर साल यह प्रतिबंध लगाया जाता है। यह नीतिगत निर्णय सुंदरबन जैसे संवेदनशील पारिस्थितिक क्षेत्र के दीर्घकालिक संरक्षण की दिशा में अहम माना जा रहा है।

इस आदेश को सख्ती से लागू करने के लिए सुंदरबन वन प्रभाग द्वारा कड़ी निगरानी की व्यवस्था की गई है। तीन महीने की इस अवधि में पर्यटक पर्मिट और अन्य अनुमतियों पर रोक लगा दी गई है। साथ ही वन विभाग की टीमें लगातार गश्त कर रही हैं। किसी भी प्रकार की अवैध घुसपैठ या गतिविधि पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
हालांकि इस निर्णय से स्थानीय जाल मछुआरों और मधु संग्रहकों में चिंता का माहौल है, क्योंकि इन तीन महीनों में उनकी आजीविका पर असर पड़ता है। वन विभाग ने अभी तक इनके लिए किसी वैकल्पिक व्यवस्था की घोषणा नहीं की है।

गौरतलब है कि सुंदरबन ही नहीं, देश के सभी राष्ट्रीय उद्यानों और जंगलों में प्रजनन काल के दौरान आम नागरिकों के प्रवेश पर रोक की व्यवस्था रहती है।

 

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