सामाजिक एकता समय की जरूरत-हरलालका
कोलकाता। अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन से सम्बद्ध पश्चिम बंग प्रादेशिक मारवाड़ी सम्मेलन की ओर से होटल पवन पुत्र में राजस्थान दिवस समारोह का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत सुनीता लोहिया और अर्पणा शर्मा की गणेश वंदना एवं स्वागत गीत से हुई। मंच पर उपस्थित सभी अतिथियों को राजस्थान की शान पगड़ी तथा दुपट्टा पहनाकर सम्मानित किया गया।
मौके पर बतौर प्रधान वक्ता सेवा संसार के सम्पादक श्री संजय हरलालका ने कहा कि हमारा समाज विभिन्न घटकों में तो पहले ही बंट गया था, लेकिन अब घटक भी भटक रहे हैं। कुछ लोग निजी स्वार्थ व दंभपूर्ति के लिए समाज का नुकसान कर रहे हैं। हम सबको मिलकर सकारात्मक रूप से ऐसे प्रयासों का प्रतिवाद करना होगा। गलत का प्रतिकार करना होगा, जरूरत पड़ने पर दरकिनार करना होगा। तभी स्वस्थ समाज की संरचना हो सकती है। पूर्वजों द्वारा स्थापित पंच प्रथा का उल्लेख करते हुए कहा कि वे पंच सूझबूझ के साथ समस्या का समाधान करते थे। समाज के लिए निज त्याग करते थे। तब पंचों की बात मानी जाती थी। आज इसके विपरित हो रहा है, जबकि आज की सबसे ज्यादा जरूरत सबको साथ लेकर सामाजिक एकता की है। श्री हरलालका ने इस सम्बन्ध में हाल में घटित बांग्लादेश की घटनाओं का उल्लेख किया, जहां संकट में अपने ही पास खड़े दिखाई दिए।
प्रधान अतिथि तथा श्री काशी विश्वनाथ सेवा समिति का पूर्व सचिव एवं वर्तमान में मार्गदर्शक श्री राजकुमार बोथरा ने मारवाड़ी समुदाय से संबंधित संस्थाओं की स्थिति के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि आज कार्यकर्ता इसलिए नहीं जुड़ रहे हैं कि उन्हें इज्जत और प्रतिष्ठा नहीं मिलती। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि समाज में लोग पैसा देने वाले नहीं है, लेकिन कुछ लोग है जो केवल पैसा लेने के चक्कर में रहते हैं।
विशिष्ट अतिथि पार्षद महेश शर्मा ने कहा कि हमें अपने कार्य पर ध्यान देना चाहिए, विवाद विवाद के बदले समाधान की ओर देखें। समाज में हर तरीके के लोग हैं, सबको साथ लेकर चलने वाला ही सफल नेतृत्व होता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मारवाड़ी बालिका विद्यालय की सचिव श्रीमती सुधा जैन ने सुधा जैन ने कहा कि राजस्थान का इतिहास और उसकी संस्कृति के बारे में यही कहना होगा कि हम क्या थे और क्या हो गए और भविष्य में क्या होंगे। उन्होंने कहा कि एक समय था, जब मारवाड़ी समाज में एक अंधविश्वास था कि लड़की जब पढ़ लेगी तो शादी के बाद बहुत कम उम्र में वह विधवा हो जाएगी। समाज में बहुत कुरीतियां थीं लेकिन आज स्थिति बदल रही है। सीताराम सेक्सरिया ने बालिकाओं के शिक्षा के लिए प्रति योगदान का जिक्र करते हुए कहा कि वह कई बालिकाओं को स्कूल छोड़ने और स्कूल से लाने तक का काम करते थे और उन्हें समाज के कुछ लोगों द्वारा काफी कुछ सुनना भी पड़ा कि आप यह क्या कर रहे हैं।
कार्यक्रम का सफल संचालन करते हुए प्रादेशिक महामंत्री श्री नीतिन अग्रवाल ने कहा कि सामाजिक नेतृत्व को संवैधानिक दायरे में रहते हुए समाज का पथ प्रदर्शक बनना चाहिए। बंधुआ मजदूर की तरह काम लेने की प्रवृत्ति तथा स्वार्थसिद्धि के बाद दरकिनार करने की मानसिकता समाज में विभेद पैदा कर रही है, जो दुःखद है। कुछ लोग इसमें अपना स्वार्थ भी साध रहे हैं, ऐसे चेहरों से सतर्क रहते हुए कार्य करने की जरूरत है।
मार्गदर्शक श्री गोपी धुवालिया ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
मौके पर उपस्थित अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन के पूर्व संयुक्त महामंत्री एवं कोषाध्यक्ष श्री दामोदर प्रसाद बिदावतका, इंटरनेशल वैश्य फेडरेशन, कोलकात चैप्टर के अध्यक्ष श्री सुशील चौधरी सहित अन्यों का दुपट्टा पहनाकर स्वागत किया प्रादेशिक संयुक्त मंत्री पवन बंसल, अनिल डालमिया, प.बंग प्रादेशिक मारवाड़ी सम्मेलन के पूर्व महामंत्री श्री ओमप्रकाश अग्रवाल, कार्यक्रम संयोजक अजय गुप्ता ने।
इस मौके पर सज्जन बेरीवाल, सांवरमल शर्मा, अजीत तुलस्यान, श्रीगोपाल अग्रवाल, आदित्य विक्रम तुलस्यान, राजेश ककरानिया, नथमल भीमराजका, प्रदीप जालान, महेश काबरा, इंद्र चंद्र मेहरीवाल, रमेश जैन, स्तुति बंसल, मोहिनी बंसल, संयुक्ता राय, रचना सोमानी के अलावा अनेक समाज के अनेक गणमान्य लोगों की उपस्थिति थी।