जादवपुर विश्वविद्यालय में तनाव के बीच शांति बहाली की पहल, कार्यकारी कुलपति ने आंतरिक जांच का प्रस्ताव रखा

जादवपुर विश्वविद्यालय में लगातार बढ़ रहे राजनीतिक तनाव और हिंसा के माहौल के बीच अब शांति बहाली की कोशिशें तेज हो गई हैं। विश्वविद्यालय के कार्यकारी कुलपति भास्कर गुप्ता ने मंगलवार को शिक्षकों के चार संगठनों, जिनमें जूटा और डब्ल्यूबीसीयूपीए भी शामिल हैं, के प्रतिनिधियों के साथ अहम बैठक की।

सूत्रों के अनुसार, प्रशासन परिसर में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए अब ठोस कदम उठाने की तैयारी में है।

यह बैठक ऐसे समय हुई है जब शनिवार को विश्वविद्यालय दौरे के दौरान राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु पर हमला हुआ था। इस हमले में मंत्री की कार क्षतिग्रस्त कर दी गई थी और वे घायल हो गए थे। इस घटना ने पूरे राज्य में राजनीतिक उबाल ला दिया है। आरोप है कि हमले के पीछे एसएफआई और अन्य वामपंथी छात्र संगठनों का हाथ है। वहीं, वामपंथी गुटों ने भी प्रतिवाद में हमले के आरोप लगाए हैं, जिससे हालात और तनावपूर्ण हो गए हैं।

घायल छात्र से मिलने के दौरान कथित हमले का शिकार हुए कार्यकारी कुलपति गुप्ता ने फिलहाल घर से ही वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बैठक में हिस्सा लिया। उन्होंने सभी पक्षों से सहयोग की अपील करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में शांति लौटाने के लिए मिलकर प्रयास करना जरूरी है। गुप्ता ने शनिवार की घटनाओं की जांच के लिए विश्वविद्यालय स्तर पर आंतरिक जांच शुरू करने का प्रस्ताव रखा ताकि हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके।

विश्वविद्यालय परिसर में फिलहाल स्थिति बेहद तनावपूर्ण है। शनिवार की झड़प में दो छात्र घायल हो गए थे, जिसके बाद वामपंथी छात्र संगठनों में असंतोष और बढ़ गया। सोमवार शाम को तनाव उस समय और बढ़ गया जब गेट नंबर 4 के पास झंडा लगाने को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और वामपंथी छात्र गुटों के बीच झड़प हो गई। एबीवीपी ने इसके बाद सर्जिकल स्ट्राइक की चेतावनी दी है, जिससे माहौल और अधिक तनावपूर्ण हो गया है।

इस बीच, तृणमूल कांग्रेस के नेता और विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ओमप्रकाश मिश्रा ने आरोप लगाया कि उन्हें भी शनिवार की हिंसा के दौरान कैंपस में प्रवेश से रोका गया और हमला किया गया।

लगातार हो रही झड़पों और राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण जादवपुर विश्वविद्यालय का वातावरण अशांत बना हुआ है। अब देखना होगा कि आंतरिक जांच और संवाद से हालात किस हद तक सुधर पाते हैं।

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