ग्रामीण चिकित्सा सेवा को मान्यता दिलाने के लिए RMPA का तीसरा जनसंपर्क अभियान

रानीगंज। पश्चिम बंगाल राज्य ग्रामीण मेडिकल प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन (आरएमपी) की पश्चिम बर्धमान जिला कमेटी ने ग्रामीण चिकित्सकों को आधिकारिक मान्यता और प्रशिक्षण की मांग को लेकर सोमवार को रानीगंज एनएसबी रोड तारबांग्ला स्थित निजी कार्यालय में प्रेस वार्ता कर 27 तारीख को एक जनसंपर्क बाइक रैली आयोजित करने की घोषणा की है। इस मौके पर आरएमपी के पश्चिम बर्धमान जिला कमेटी के सचिव शंभू यादव,जिलाध्यक्ष अजीत मिश्रा, गौरव मित्रा, विकास राऊत, मनोज ताती, शांतनु बाराई समेत सदस्य गण मौजूद थे। इस दौरान शंभू यादव ने बताया कि पश्चिम बंगाल में लगभग 2 लाख ग्रामीण चिकित्सक कार्यरत हैं, जो राज्य के 39,000 से अधिक गांवों में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। हालांकि, इन्हें अभी तक सरकार की ओर से कोई आधिकारिक मान्यता या कानूनी सुरक्षा प्राप्त नहीं हुई है। ग्रामीण चिकित्सक 365 दिन, 24 घंटे लोगों की सेवा में कार्यरत रहते हैं, जबकि सरकारी स्वास्थ्य केंद्र सप्ताह में सिर्फ तीन दिन (सोमवार, बुधवार और शुक्रवार) कुछ घंटों के लिए खुलते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सकों की कमी के कारण ये डॉक्टर आपातकालीन स्थिति, इंजेक्शन देने और सरकारी डॉक्टरों द्वारा लिखी गई दवाएं मरीजों को देने का कार्य भी करते हैं। ग्रामीण चिकित्सकों ने टीबी डॉट्स, परिवार नियोजन, कालाजार और स्वास्थ्य जागरूकता अभियानों में सरकार का सहयोग किया है, लेकिन इसके बावजूद उन्हें किसी प्रकार की आधिकारिक मान्यता या प्रमाणपत्र नहीं दिया गया। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM) के तहत नर्सिंग प्रशिक्षण और अन्य कार्यक्रम चलाए गए, लेकिन अधिकांश ग्रामीण डॉक्टरों को इनका लाभ नहीं मिल सका। ग्रामीण चिकित्सकों को आधिकारिक प्रशिक्षण और कानूनी मान्यता दी जाए।चिकित्सा बाजार में अनियमितता और अव्यवस्था को रोका जाए। ग्रामीण चिकित्सकों के कार्य में कानूनी बाधाओं को समाप्त किया जाए। 24 घंटे सेवा देने वाले ग्रामीण चिकित्सकों के लिए प्रशासनिक सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। यदि सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती है, तो राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। उनका कहना है कि देश की 70% स्वास्थ्य सेवाएं ग्रामीण चिकित्सकों पर निर्भर हैं, इसलिए इन्हें उचित प्रशिक्षण देकर आधुनिक चिकित्सा प्रणाली से जोड़ा जाए। सरकार की उदासीनता यदि जारी रही, तो यह चिकित्सा अराजकता को बढ़ावा देने जैसा होगा। ग्रामीण चिकित्सकों को कानूनी अधिकार और सुरक्षा देना स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती के लिए जरूरी है।

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