कोलकाता । स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) के जरिए शिक्षकों की नियुक्ति में भ्रष्टाचार के मामले की जांच कर रहे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) अधिकारियों के बुलावे पर मुख्य याचिकाकर्ता बबीता सरकार गुरुवार दोपहर निजाम पैलेस पहुंची हैं। यहां सीबीआई के अधिकारियों ने उनसे बात की है। केंद्रीय एजेंसी के बुलावे पर बबीता अपने अधिवक्ता को साथ लेकर निजाम पैलेस पहुंची हैं। सूत्रों ने बताया है कि केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों ने उनसे 2016 में हुई परीक्षा और बाद में मेरिट लिस्ट आदि से संबंधित दस्तावेज मांगे हैं। उन्हीं को जमा करने के लिए बबीता पहुंची थीं। इसके अलावा केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों ने उनसे पूछताछ कर यह भी जानने की कोशिश की है कि आखिरकार उन्हें कब पता चला कि उन्हें मेरिट लिस्ट से हटा दिया गया है और उनकी जगह मंत्री परेश चंद्र अधिकारी की बेटी अंकिता अधिकारी को शामिल किया गया है। बबीता का पूरा बयान भी रिकॉर्ड किया गया है।
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क्या है पूरा मामला
– 2016 में एसएससी ने शिक्षक नियुक्ति के लिए परीक्षा ली थी। 2017 की दो मई को परिणाम आए थे। 19 लोगों की नियुक्ति होनी थी और 20वें नंबर पर बबीता का नाम था। बाद में 19 में से एक व्यक्ति ने नौकरी ज्वाइन नहीं की जिसके बाद बबीता का दावा बनता था लेकिन एसएससी ने मेरिट लिस्ट बदल दी और बबीता को 21 नंबर पर और उनसे ऊपर अंकिता अधिकारी का नाम शामिल कर दिया गया। 2018 में नियुक्ति प्रक्रिया पूरी हुई और बबीता की जगह अंकिता को नौकरी मिल गई। बाद में बबीता ने आरटीआई किया और जानना चाहा कि आखिर उनके नाम से पहले किसी और का नाम कैसे आ गया लेकिन आज तक उसका जवाब नहीं दिया गया। इसके बाद ही उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया था जहां पता चला कि अंकिता ने परीक्षा ही नहीं दी थी। खास बात यह है कि अंकिता के पिता परेश चंद्र अधिकारी पहले माकपा में थे और जिस दिन उन्होंने तृणमूल की सदस्यता ली उसी दिन एसएससी ने नई मेरिट लिस्ट जारी की थी जिसमें अंकिता को शामिल किया गया था। इसलिए इस पूरे मामले में धांधली का संदेह होते ही बबीता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अब कोर्ट ने पूरी प्रक्रिया की सीबीआई जांच का आदेश दिया है और अंकिता को नौकरी से हटा कर उनसे अब तक मिले वेतन को जमा करने का आदेश जारी किया है। इसके अलावा बबीता को भी नौकरी देने को कहा गया है। एसएससी ने भी कहा है कि वेटिंग लिस्ट में मौजूद सभी को नौकरी देने की व्यवस्था की जा रही है