बेहद खास होगा विजय दिवस कार्यक्रम : 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध जिससे हुआ बांग्लादेश का उदय और पाकिस्तान की हार

 

कोलकाता, 11 दिसंबर । कोलकाता के फोर्ट विलियम स्थित सेना के पूर्वी कमान मुख्यालय में 16 दिसंबर को विजय दिवस के कार्यक्रम की तैयारी लगभग पूरी हो गई है। बांग्लादेश में इस बार हालात तनावपूर्ण होने की वजह से मुक्ति वाहिनी के योद्धाओं या किसी भी सरकारी प्रतिनिधि की उपस्थिति को लेकर अभी तक असमंजस की स्थिति बनी हुई है। विजय दिवस 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की गाथा समेटे हुए हैं जिसमें भारतीय सैनिकों की बहादुरी बेमिसाल रही है। ये युद्ध भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। यह युद्ध तीन दिसंबर 1971 से 16 दिसंबर 1971 तक चला। इस युद्ध का परिणाम पाकिस्तान का विभाजन और बांग्लादेश के रूप में एक नए राष्ट्र का उदय था।
1947 में भारत-पाक विभाजन के बाद, पाकिस्तान दो हिस्सों में बंटा—पश्चिमी पाकिस्तान (वर्तमान पाकिस्तान) और पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश)। दोनों हिस्सों में सांस्कृतिक और भाषाई भिन्नता थी। पूर्वी पाकिस्तान के लोगों की समस्याओं को पश्चिमी पाकिस्तान सरकार ने नजरअंदाज किया।

1970 के चुनावों में अवामी लीग को पूर्वी पाकिस्तान में भारी जीत मिली। इसके नेता शेख मुजीबुर रहमान ने स्वायत्तता की मांग की। लेकिन पाकिस्तान सरकार ने इसे खारिज कर दिया। 25 मार्च 1971 को पाकिस्तानी सेना ने “ऑपरेशन सर्चलाइट” के तहत पूर्वी पाकिस्तान में हिंसा की। हजारों लोग मारे गए और लाखों भारत में शरण लेने पहुंचे।
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भारत की भूमिका
पाकिस्तानी सेना की हिंसा और शरणार्थियों की संख्या बढ़ने से भारत पर आर्थिक और सामाजिक दबाव बढ़ा। भारत ने पहले कूटनीतिक समाधान की कोशिश की, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। तीन दिसंबर 1971 को पाकिस्तान ने भारत के हवाई अड्डों पर हमला किया। इसके बाद भारत ने युद्ध की घोषणा की।
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युद्ध का घटनाक्रम
पूर्वी मोर्चे पर भारतीय सेना ने मुक्ति वाहिनी के साथ मिलकर तेज़ी से बढ़त बनाई। रणनीतिक और स्थानीय समर्थन की वजह से युद्ध 13 दिनों में ही समाप्त हो गया। 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना के जनरल ए.ए.के. नियाज़ी ने ढाका में आत्मसमर्पण कर दिया।
इस युद्ध में भारत ने 90 हजार पाकिस्तानी सैनिकों को बंदी बनाया। बांग्लादेश स्वतंत्र राष्ट्र बना। पाकिस्तान का लगभग आधा हिस्सा अलग हो गया। तब तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जमकर सराहना हुई।
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युद्ध की विरासत
1971 का युद्ध भारत के लिए सामरिक और मानवीय दृष्टि से महत्वपूर्ण था। इससे भारत को एक क्षेत्रीय शक्ति के रूप में पहचान मिली। बांग्लादेश का निर्माण इस क्षेत्र में स्थायी शांति की दिशा में एक बड़ा कदम था।

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