कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह केस में मुस्लिम पक्ष को लगा बड़ा झटका, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने की याचिका खारिज

मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने आदेश 7 नियम 11 पर आपत्ति जताने वाली मुस्लिम पक्ष की अर्जी खारिज कर दी है।

यह फैसला जस्टिस मयंक कुमार जैन की एकल पीठ ने दिया है।

बता दें कि मुस्लिम पक्ष ने श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से जुड़ी याचिकाओं की चारणीयता को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। इन याचिकाओं को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था। साथ ही हाई कोर्ट ने सिविल मुकदमे की पोषणीयता को लेकर हिंदू पक्ष की याचिकाएं भी स्वीकार कर लीं।

हिंदू पक्ष की ओर से दायर याचिकाओं में शाही ईदगाह मस्जिद की जमीन को हिंदुओं की बताया गया था और वहां पूजा करने का अधिकार देने की मांग की गई थी। वहीं, मुस्लिम पक्ष ने पूजा स्थल अधिनियम, वक्फ अधिनियम, परिसीमन अधिनियम और विशिष्ट कब्ज़ा राहत अधिनियम का हवाला देते हुए हिंदू पक्ष की याचिकाओं को खारिज करने की दलील दी थी।

मुस्लिम पक्षकारों की क्या है दलीले?

1- इस जमीन पर दोनों पक्षों के बीच 1968 में समझौता हो चुका है। 60 साल बाद समझौते को गलत कहना ठीक नहीं है। इसलिए मामला चलने योग्य नहीं है।

2- पूजा स्थल अधिनियम 1991 के तहत भी मामला चलने योग्य नहीं है।

3- धार्मिक स्थल की पहचान और स्वरूप जो 15 अगस्त 1947 को था वही रहेगा। अर्थात इसकी प्रकृति को बदला नहीं जा सकता।

4- इस मामले को लिमिटेशन एक्ट और वक्फ एक्ट के तहत भी देखा जाना चाहिए।

5- इस विवाद की सुनवाई वक्फ ट्रिब्यूनल में होनी चाहिए। यह सिविल कोर्ट में सुनवाई का मामला नहीं है।

हिंदू पक्षकारों की क्या है दलील?

1- ईदगाह का पूरा ढाई एकड़ क्षेत्र भगवान श्री कृष्ण का गर्भगृह है।

2- मस्जिद कमेटी के पास जमीन का ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है।

3- सीपीसी का आदेश-7, नियम-11 इस याचिका में लागू नहीं होता।

4- मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण अवैध रूप से किया गया है।

5- जमीन कटरा केशव देव की है।

6- बिना मालिकाना हक के वक्फ बोर्ड ने बिना किसी वैध प्रक्रिया के इस जमीन को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया है।

7- इमारत को पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित भी घोषित किया गया है, इसलिए पूजा स्थल अधिनियम इस पर लागू नहीं होता है।

8- ASI ने इसे नजूल भूमि माना है, इसे वक्फ संपत्ति नहीं कहा जा सकता।

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