आधुनिक”शबरी”ने अयोध्या के राम मंदिर निर्माण में दिया अनोखा योगदान

 

सीताराम अग्रवाल

कोलकाता/अयोध्या। अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर में मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा में मामूली समय रह गया है। इसके लिए पूरी अयोध्या पिछले कई दिनों से राममय हो गयी है। न सिर्फ़ अयोध्या बल्कि पूरे भारत में यहां तक कि विश्व के कई भागों में भी इस अपूर्व दृश्य को देखने के लिए अपार उत्साह है। कोलकाता महानगर व उपनगरों में भी इस अवसर पर तरह – तरह के समारोहों का आयोजन किया गया है। दिन में ही दिये जलाकर दीपावली त्यौहार का अहसास होगा। भजन- कीर्तन के जरिये भगवान राम की भक्ति की जायेगी। अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अलावा सैकड़ों विशिष्ट व्यक्तियों के जमावड़े के बीच भगवान राम की मूर्ति का प्राण प्रतिष्ठा समारोह होगा। करीब 500 वर्षों की लम्बी प्रतीक्षा के बाद जिस भव्य मंदिर में भगवान राम की मूर्ति स्थापित हुई है, उसका निर्माण भी अद्भुत तरीके से हुआ है। ज्ञातव्य है कि मंदिर निर्माण में एक पैसा भी सरकारी नहीं लगा है। देश- विदेश के हजारों राम भक्तों तथा समर्थकों ने अपने- अपने तरीके से योगदान कर इस मंदिर को मूर्त रूप दिया है। ऐसी ही एक भक्तिन के बारे में यहां बताया जा रहा है। राम के प्रति इसके अद्भुत प्रेम को देखते हुए हम इसे आधुनिक शबरी की संज्ञा दे सकते है। ज्ञातव्य है कि काफी लम्बी प्रतीक्षा के बाद भगवान राम ने शबरी की कुटिया में जाकर न सिर्फ़ उसे दर्शन देकर कृतार्थ किया था, बल्कि प्रेमपूर्वक उसके झूठे बेर भी खाये थे।
चित्र में पीली साड़ी में जो महिला दिखायी दे रही है, उसका नाम यशोदा है। जब यह मात्र 20 वर्ष की थी, तभी इस पर वज्रपात हुआ। इसके पति इसे अकेला छोड़ कर भगवान के पास चले गये। पर यशोदा ने इस वज्रपात को साहस के साथ सहा और कठोर मेहनत का रास्ता चुना। बांकेबिहारी लाल को अपना जीवन समर्पित करते हुए इसने वृन्दावन में उनके मंदिर में दर्शन के लिए आनेवाले भक्तों के जूते- चप्पलें संभावना शुरु कर दिया, बदले में सामान्य जो कुछ मिलता , उसी से अपना जीवन चलाती रही। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि करीब 30 वर्षों में छोटी- बड़ी राशि एकत्र कर उसने 51 लाख से अधिक रुपये इकट्ठे कर लिए।
जब यशोदा को अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के बारे में पता चला तो उसने अपने गाढ़े पसीने की कमाई के 51,10, 025 रुपये पूरी श्रद्धा के साथ भगवान राम के चरणों में खुशी- खुशी अर्पित कर दिये। यह है हिन्दू धर्म के प्रति आस्था तथा भगवान राम के आदर्शों के प्रति श्रद्धा का अनुपम व अनुकरणीय उदाहरण। यह महिला चाहती तो इस पूंजी से अपना जीवन सुख- सुविधा के साथ गुजार सकती थी, पर ऐसा करने के बजाय उसने स्वार्थ का मार्ग त्यागकर परमार्थ का मार्ग चुना। अतएव कहा जा सकता है कि यशोदा ने आधुनिक शबरी के रूप में भगवान राम के चरणों में जीवन भर की संचित पूंजी अर्पित कर दी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Open chat
1
Hello
Can we help you?