बर्दवान। मंगलवार से रथ मेला शुरू हो रहा है। जिसको लेकर चारों ओर तैयारी जोड़ो पर है रथ की सजावट का कार्य लगभग समाप्ति पर है। एक समय था जब रथ मेले में बच्चों की आंखों का मुख्य आकर्षण मिट्टी का बना”नृत्य करने वाली गुड़िया और विभिन्न प्रकार के मिट्टी के खिलौने हुआ करता था। ये सब बीते समय का बात हो गया है। अब आधुनिकता का समय आ गया और बदलते समय के साथ प्लास्टिक और पत्थर के उपयोग के कारण मिट्टी के बने खिलौने और वस्तुओं का मूल्य बहुत कम हो गया है। पारंपरिक मिट्टी के बने खिलौने बर्तन और उससे बने विभिन्न वस्तुओं अब लुप्त होने के कगार पर है। इसी के साथ अब रथ मेला में पारंपरिक मिट्टी के बने खिलौने और वस्तुओं की जगह प्लास्टिक और पत्थर के उपयोग होने वाले वस्तुओं ने ले लिया है। इसको लेकर पश्चिम बर्दवान जिले के कांकसा स्थित कांकसा रथ टोला निवासी अरिंदम दास और प्रशांत सूत्रधार ने अफसोस जाहिर की।इसका दर्द उनके चेहरे पर साफ देखा गया। उन्होंने बताया कि कांकसा का यह रथ मेला कई साल पुराना है और इस मेले में हजारों की संख्या में लोग आते है। पहले यह रथ मेला बच्चों से लेकर बड़ों तक का मुख्य आकर्षण होता था जिसमें तरह-तरह की मिट्टी के बने गुड़िया और मिट्टी के बने विभिन्न प्रकार वस्तुऐ एवं खिलौने होते थे। इन मिट्टी के गुड़ियों की मांग भी बहुत अधिक थी, लेकिन आजकल आधुनिकता के स्पर्श और मोबाइल और प्लास्टिक की गुड़िया के प्रति बच्चों के थोड़े अधिक आकर्षण ने इन मिट्टी के खिलौनों की मांग कम कर दी है। पीढ़ी दर पीढ़ी चले आ रहे इस परंपरागत धंधे को उन्होंने किसी तरह कायम रखा है।अब इस धंधे कोई मुनाफा नहीं है और उनका परिवार किसी तरह से चल रहा है।