
कोलकाता, 17 अप्रैल । पश्चिम बंगाल में महंगाई भत्ता (डीए) की मांग पर आंदोलन कर रहे सरकारी कर्मचारियों के प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली जाकर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और निर्मला सीतारमण से मुलाकात की थी। इस दौरान ज्ञापन सौंपा गया था। जंतर मंतर पर 500 से अधिक कर्मचारियों का धरना भी हुआ था। अब इसे लेकर सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने इस बात पर सवाल खड़े किए हैं कि दिल्ली गए कर्मचारी कहां ठहरे थे। पार्टी प्रवक्ता कुणाल घोष ने सोमवार को ट्विटर पर हिंदू महासभा भवन की एक रसीद साझा की है जिसमें आंदोलनरत कर्मचारियों के ठहरने का जिक्र है। इसके लिए एक रसीद में एक लाख रुपये और दूसरी रसीद में 73 हजार रुपये का भुगतान किया गया है। रसीद की प्रति ट्विटर पर साझा करते हुए कुणाल घोष ने लिखा है कि यह रसीद असली है या नकली? संग्रामी संयुक्त मंच के लोग दिल्ली गए थे तो कहां ठहरे थे? इतने रुपये क्यों दिए गए? किसने रुपये दिए हैं? कितने रुपये की वसूली की गई है? पर्दे के पीछे राम और वाम की सांठगांठ उजागर हो गई है। अगर यह रसीद नकली है तो आंदोलनकारियों के संयुक्त मंच इस पर जानकारी दें।
उन्होंने अपने इस ट्वीट के जरिए यह बताने की कोशिश की है कि राज्य सरकार के खिलाफ इस आंदोलन में वामदलों को भाजपा और समान विचारधारा वाले संगठनों का साथ मिल रहा है।
इधर संग्रामी संयुक्त मंच के नेता संदीप घोष ने कहा कि कुल 540 लोग दिल्ली धरना देने के लिए गए थे। वहां हम लोग हिंदू महासभा भवन के अलावा एक मैरिज हॉल और बिरला मंदिर में रुके थे। अधिकतर सदस्य हिंदू महासभा भवन में ठहरे थे इसलिए वहां अधिक रुपये दिए गए हैं हमारे पास छिपाने के लिए कुछ नहीं हैं। सारे रुपये नगद दिए गए हैं और उसकी रसीद भी मिली है। जो रसीद कुणाल घोष ने अपने ट्विटर पर डाला है वह हम लोगों ने ही सार्वजनिक किया है। कोई भी हमारे आंदोलन के खर्च के बारे में जानना चाहे तो हम तैयार हैं क्योंकि हमारे दिल्ली सफर और आंदोलन के खर्च का ऑडिट भी हुआ है।