सपा कार्यकारिणी में जातिगत और मजहबी ध्रुवीकरण पर बनी रणनीति, धार्मिक टिप्पणी से परहेज की नसीहत

 

कोलकाता, 18 मार्च । उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी (सपा) की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक की शुरुआत शनिवार को राजधानी कोलकाता में हुई। इसमें सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ उपाध्यक्ष किरणमय नंदा और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हैं। बैठक में अखिलेश यादव ने स्पष्ट नसीहत दी है कि पार्टी के नेता किसी भी तरह की धार्मिक टिप्पणी अथवा धार्मिक ग्रंथों पर आपत्तिजनक बयान देने से परहेज करें। बैठक में इस बात पर चर्चा हुई है कि पार्टी आने वाले चुनाव में एमवाई ( मुस्लिम-यादव) समीकरण को और मजबूत करेगी। इसके साथ ही अति पिछड़े लोगों के मुद्दों को प्रमुखता से उठा कर उन्हें साधने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी जाएगी। नेताओं ने दावा किया है कि पार्टी के साथ एमआई समीकरण जस का तस बना हुआ है उसमें कोई कमी नहीं हुई है। इसे और मजबूत करने की जरूरत है। साथ ही दलित और महा दलित जातियों के बीच पैठ और मजबूत करने को लेकर रणनीति बनाई गई है। दिन भर हुई चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी की पूर्ववर्ती सरकारों के विकास कार्यों के बारे में कोई खास चर्चा नहीं हुई बल्कि मुख्य रूप से मजहबी और जातिगत ध्रुवीकरण की रणनीति पर ही बात हुई है।
इसमें अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव और जया बच्चन भी मौजूद हैं। अखिलेश में खासतौर पर पार्टी नेताओं को नसीहत देते हुए कहा कि धार्मिक संतों पर भी किसी भी तरह की टिप्पणी नहीं होनी चाहिए। इससे बिना वजह विवाद खड़ा होता है और पार्टी को किरकिरी झेलनी पड़ती है।
उल्लेखनीय है कि हाल के चुनाव में समाजवादी पार्टी को हुए नुकसान के बाद दावा किया जा रहा था कि पार्टी के 18 फ़ीसदी यादव समर्थक भाजपा के साथ चले गए हैं। हालांकि पहले दिन की कार्यकारिणी बैठक में नेताओं ने दावा किया कि इसमें कोई सच्चाई नहीं है। यादव और मुस्लिम समुदाय के बीच पार्टी का समर्थन जस‌ का तस बरकरार है।

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