कोलकाता:पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया है कि बंगाल में चुनाव अधिकारी मतदाताओं को इस बात के लिए मजबूर कर रहे हैं कि वो वोटर आईडी से आधार को लिंक कराएं, जबकि ऐसा कोई आवश्यक प्रावधान नहीं है।
इस मामले में तृणमूल कांग्रेस की ओर से प्रवक्ता साकेत गोखले ने सोमवार को कहा कि बंगाल में चुनाव अधिकारी कई जगहों पर मतदाताओं को आधार नंबर से वोटर आईडी को लिंक कराने के लिए मजबूर कर रहे हैं, जबकि इस मामले में चुनाव आयोग का स्पष्ट निर्देश है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह से स्वैच्छिक है।
अपनी बात को बल देने के लिए साकेत गोखले ने इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन के ट्वीट का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं, जिसमें चुनाव अधिकारी लोगों को आधार से वोटर आईडी को जोड़ने के लिए विवश कर रहे हैं। साकेत ने ट्विटर पर लिखा, “हमने आज चुनाव आयोग को पत्र लिखकर स्पष्टीकरण जारी करने और इसे तुरंत रोकने के लिए कहा है।”
पोल पैनल ने भी ट्विटर पर जवाब दिया कि फॉर्म 6बी में जारी नये फॉर्म में आधार नंबर को जमा करना पूरी तरह से “स्वैच्छिक” है। चुनाव आयोग ने इस संबंध में राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारियों को निर्देशों का लिंक साझा करते हुए कहा, “आधार जमा नहीं करने के आधार पर मतदाता सूची में से किसी मतदाता का नाम नहीं हटाया जाएगा।”
तृणमूल की ओर से चुनाव आयोग के समक्ष पेश हुए साकेत गोखले ने बताया कि चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक, 2021, जो कि चुनावी डेटा को आधार संख्या से जोड़ने की अनुमति देता है। उसे संसद द्वारा दिसंबर 2021 में पारित किया गया था।
वहीं संसद में इस विधेयक के पारित होने के बाद केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद से कहा था कि मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ना ‘स्वैच्छिक’ है और इसे “अनिवार्य नहीं किया गया है।”
मामले में साकेत ने दावा किया कि केंद्र की ओर से और चुनाव आयोग की ओर से दिशा-निर्देश जारी होने के बाद भी पिछले महीने बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) द्वारा मतदाताओं को फोन करके आधार से वोटर कार्ड को लिंक कराने की “चेतावनी” देने के कई मामले सामने आए हैं। बीएलओ द्वारा मतदाताओं को फोन पर चेतावनी भी जारी की गई है कि अगर मतदाता आधार से वोटर कार्ड को लिंक नहीं कराते हैं तो उनका नाम मतदाता सूची से हटा दिए जाएगा।
इस पूरे प्रकरण में चुनाव आयोग बीते 4 जुलाई को अपनी ओर से स्थिति को स्पष्ट करते हुए सभी राज्यों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किया था, जिसमें आयोग ने कहा था, “मतदाता आधार से वोटर कार्ड को लिंक कराते हैं या नहीं यह पूरी तरह से उनपर निर्भर करता है और मतदाताओं द्वारा चुनाव आयोग को आधार संख्या देना पूरी तरह से स्वैच्छिक है।”
इसके अलावा चुनाव आयोग की ओर से यह भी कहा गया था कि आयोग इस बात को फिर से दोहरा रहा है कि मतदाताओं द्वारा आधार नंबर जमा करना पूरी तरह से स्वैच्छिक है और उसे न देने के आधार पर मतदाताओं का नाम चुनावी डेटाबेस से नहीं काटा जा सकता हैं।