चिरकुंडा (संवाददाता): चिरकुंडा स्थित अग्रसेन भवन में चल रहे सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन वृंदावन से आए कथा प्रवक्ता उत्तम कृष्ण शास्त्री ने बुधवार को प्रभु के सोलह हजार एक सौ आठ विवाहों का वर्णन किया।शास्त्री ने कहा कि प्रभु की कोई भी लीला हो बिना कारन के नही होती।परमात्मा ने 16108 विवाह इन सभी के प्राणों की रक्षा के लिए किए हैं।जब भौमासुर दैत्य 16100 कन्या को बंदी बना लिया तो प्रभु ने उनको उस दैत्य के वेदी गृह से उन कन्याओं को मुक्त कराया।अब ये कन्याओं के सामने केवल प्राण त्यागने के अलावा कोई मार्ग नही था इस लिए प्रभु ने उनके प्राणो की रक्षा के लिए उन सभी के साथ विवाह किया।
इसलिए समाज को भी प्रभु के विवाहों पर संसय नही करना चाहिए।कभी-कभी अल्प ज्ञान हमारी बुद्धि का हरन भी कर लेता है।इसलिए प्रभु जो करते है जन कल्याण के लिए और भक्तों की प्रसन्नता के लिए करते हैं
उन्होने आगे कहा कि सुदामा जी वैसे परम भक्त के उपर अपनी करूणा की और अपने मित्र सुदामा का मान बढाया।उन्होने कहा कि वही सच्चा मित्र है जो अपने मित्र की परस्थिति में भी उसका साथ देने के लिए तैयार बना रहे।आज सुदामा निष्काम भाव से प्रभु को भजते हैं और प्रभु के दर्शन करने द्वारका पुरी जाते हैं व दर्शन का वो परम लाभ प्राप्त करते हैं।उन्होने कहा कि सुदामा चरित्र की कथा निष्काम भक्त की कथा है जिस पर प्रभु ने कृपा की है।आगे शुकदेव विदाई राजा परीक्षत जी का मोक्ष कथा भी कही गई।
भागवत कथा को सफल बनाने में आयोजक सुशील अग्रवाल, संदीप अग्रवाल,बाशु गढयाण,शंकर निगानिया,बीमल निगानिया,श्याम निगानिया,राजेश निगानिया,नीतु निगानिया,सुदेश सिंह,प्रवीण निगानिया,नीशा अग्रवाल,प्रनेश श्रुती आदि थे।
