कोलकाता । पश्चिम बंगाल में प्राथमिक शिक्षक भर्ती भ्रष्टाचार मामले में प्राथमिक शिक्षा परिषद के निवर्तमान अध्यक्ष माणिक भट्टाचार्य ने हाईकोर्ट के सख्त आदेश के बावजूद अपनी और अपने परिवार की संपत्ति का ब्यौरा कोर्ट में जमा नहीं कराया है। मंगलवार को ही न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली की एकल पीठ ने स्पष्ट निर्देश दिया था कि बुधवार सुबह 10:00 बजे तक सीलबंद लिफाफे में माणिक भट्टाचार्य, उनकी पत्नी, बेटी, बेटा और परिवार के अन्य सदस्यों की संपत्ति का ब्यौरा कोर्ट में जमा करना होगा। तृणमूल कांग्रेस के विधायक माणिक की ओर से कोर्ट में पेश हुए अधिवक्ता फिरदौस शमीम ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि इस मामले में उच्च न्यायालय की खंडपीठ में सुनवाई चल रही है इसीलिए एकल पीठ को फिलहाल संपत्ति का ब्यौरा नहीं मांगनी चाहिए। इस पर न्यायमूर्ति गांगुली ने कहा था कि जब तक खंडपीठ फैसला नहीं देता तब तक एकल पीठ संवैधानिक रीति के मुताबिक फैसला सुना सकता है। हां जब तक खंडपीठ का फैसला नहीं आएगा तब तक हलफनामे के बंद लिफाफे को नहीं खोला जाएगा लेकिन बुधवार सुबह 10:00 बजे तक हर हाल में संपत्ति का ब्यौरा जमा कराया जाना चाहिए।
इधर बुधवार को एक बार फिर जब मामले की सुनवाई शुरू हुई तो माणिक के वकील ने एक दिन का अतिरिक्त समय मांगा। उन्होंने कहा कि हम जल्द ही कोर्ट में संपत्ति का सारा ब्यौरा जमा कराएंगे।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 से 2017 के दौरान प्राथमिक शिक्षक के तौर पर 269 लोगों की नियुक्ति हुई थी जिन की नौकरी खारिज करने का आदेश कोर्ट ने दिया है। आरोप है कि इन सभी को एक एक नंबर बढ़ा कर दिए गए थे और इसके पीछे दावा किया गया था कि गलत प्रश्न था इसीलिए नंबर बढ़ाए गए। इस की सिफारिश सलाहकार समिति ने की थी और उस समय भी अध्यक्ष माणिक भट्टाचार्य ही थे। इसीलिए उनकी भूमिका संदिग्ध है। आरोप है कि बिचौलियों की मदद से नौकरी की परीक्षा देने वाले उम्मीदवारों से करोड़ों रुपये घूस के तौर पर लेकर गैरकानूनी तरीके से नियुक्ति हुई है। इस मामले में हाई कोर्ट पहले ही सीबीआई जांच का आदेश दे चुका है।