
बर्धमान, 13 दिसंबर 2025: पूर्वी भारत में न्यूरोलॉजिकल और किडनी से जुड़ी बीमारियों के बढ़ते मामलों के बीच, मणिपाल हॉस्पिटल्स ग्रुप की इकाई, मणिपाल हॉस्पिटल मुकुंदपुर ने आज बर्धमान में अपनी प्रमुख पहल ‘अन्वेषणा – मेडिकल एजुकेशन फॉर मीडिया’ के तहत एक इंटरैक्टिव जागरूकता सत्र का आयोजन किया।
इस सत्र में मणिपाल हॉस्पिटल्स कोलकाता के वरिष्ठ विशेषज्ञ शामिल हुए, जिनमें डॉ. जयंत रॉय, डायरेक्टर एवं एडवाइज़र और रीजनल हेड (ईस्ट) – न्यूरोलॉजी, और डॉ. अविनंदन बनर्जी, क्लिनिकल लीड – नेफ्रोलॉजी एवं किडनी ट्रांसप्लांट, मणिपाल हॉस्पिटल मुकुंदपुर शामिल थे। कार्यक्रम में बर्धमान के कंसल्टेंट फिजिशियन डॉ. सौम्य सरकार भी उपस्थित थे, साथ ही जिले के वे मरीज भी शामिल हुए जो वर्तमान में इन विशेषज्ञों की देखरेख में मणिपाल हॉस्पिटल्स में उपचाररत हैं।
विशेषज्ञों ने रोगों के बदलते रुझानों, समय पर पहचान, और न्यूरोलॉजी एवं किडनी केयर में उपचार संबंधी नवीनतम प्रगति पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि समय पर चिकित्सा हस्तक्षेप मरीजों के परिणामों में महत्वपूर्ण सुधार ला सकता है।
संस्कृत शब्द “अन्वेषण” से प्रेरित ‘अन्वेषणा’ पहल, मणिपाल हॉस्पिटल्स की सहयोगात्मक शिक्षा, जिम्मेदार संचार और सार्वजनिक स्वास्थ्य जागरूकता को मजबूत करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, 62 वर्षीय ब्रेन स्ट्रोक सर्वाइवर अभिजीत दास ने डॉ. जयंत रॉय की दीर्घकालिक देखरेख में अपनी रिकवरी यात्रा साझा की और मणिपाल हॉस्पिटल्स से प्राप्त उपचार एवं भरोसे के लिए आभार व्यक्त किया। 52 वर्षीय गृहिणी शकीला बानो ने भी डॉ. रॉय की देखरेख में मायस्थीनिया ग्रेविस—एक दीर्घकालिक ऑटोइम्यून न्यूरोमस्कुलर रोग, जो मांसपेशियों में कमजोरी पैदा करता है—से सफलतापूर्वक उबरने का अनुभव साझा किया। उन्होंने बताया कि समय पर चिकित्सा हस्तक्षेप ने उन्हें स्वस्थ जीवन वापस पाने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद की।
इन अनुभवों में 53 वर्षीय व्यवसायी शेख आलम गिर ने भी शामिल होकर अपने प्रेरक जीवन संघर्ष की कहानी साझा की। कुछ वर्ष पहले जब उनके शरीर के निचले हिस्से में पक्षाघात हो गया था और स्थानीय डॉक्टरों ने आशा खो दी थी, तब डॉ. जयंत रॉय की समयोचित देखरेख और समर्पित उपचार ने उन्हें नया जीवन और उम्मीद की किरण दी।
न्यूरोलॉजिकल रोगों के बढ़ते बोझ पर बोलते हुए डॉ. जयंत रॉय ने कहा, “पिछले दशक में भारत में न्यूरोलॉजिकल विकारों में 30–40% की वृद्धि हुई है, जिसमें स्ट्रोक और डिमेंशिया सबसे गंभीर चिंताएं बनकर उभरे हैं। मणिपाल हॉस्पिटल्स में हमारी ‘कॉम्प्रिहेंसिव न्यूरो टीम’—जिसमें न्यूरोलॉजिस्ट, न्यूरोसर्जन, न्यूरो-इंटरवेंशन विशेषज्ञ, न्यूरो-रेडियोलॉजिस्ट और न्यूरो-रिहैबिलिटेशन विशेषज्ञ शामिल हैं—समन्वित रूप से मरीज-केंद्रित और पूर्णतः एकीकृत देखभाल प्रदान करती है। यह बहुविषयक क्षमता हमें प्रारंभिक स्क्रीनिंग, उन्नत न्यूरोइमेजिंग और संरचित पुनर्वास तक हर चरण में मरीजों का समर्थन करने में सक्षम बनाती है। उत्तर और दक्षिण कोलकाता में पीडियाट्रिक ICU, स्ट्रोक प्रिवेंशन क्लिनिक, न्यूरोवास्कुलर रिसर्च यूनिट और अर्जेंट न्यूरोलॉजी क्लिनिक्स जैसी विशेष इकाइयों के माध्यम से हम समय पर हस्तक्षेप और समन्वित विशेषज्ञता के साथ सर्वाइवल रेट और दीर्घकालिक संज्ञानात्मक परिणामों में उल्लेखनीय सुधार ला सकते हैं।”
उन्नत किडनी देखभाल पर बात करते हुए डॉ. अविनंदन बनर्जी ने कहा, “मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ नेफ्रोलॉजी एंड यूरोलॉजी (MINU) के माध्यम से हम जटिल किडनी रोगों से जूझ रहे मरीजों को डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट सहित समग्र, मरीज-केंद्रित उपचार प्रदान करते हैं, जिसे एक मजबूत मल्टीडिसिप्लिनरी ढांचे का समर्थन प्राप्त है। मणिपाल ऑर्गन शेयरिंग एंड ट्रांसप्लांट (MOST) प्रोग्राम के साथ हमारा सहयोग ट्रांसप्लांट प्रक्रियाओं के समन्वय को सुचारु बनाता है, देरी को कम करता है, लॉजिस्टिक्स को सरल करता है और मरीजों व उनके परिवारों को व्यापक चिकित्सकीय एवं भावनात्मक सहयोग प्रदान करता है। समय पर निदान अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि लगभग 17% किडनी फेल्योर के मामलों का पता उन्नत अवस्था में चलता है—अक्सर लंबे समय तक बनी सूजन, पेशाब के पैटर्न में बदलाव, अनियंत्रित ब्लड प्रेशर या ठीक से प्रबंधित न की गई डायबिटीज जैसे लक्षणों की अनदेखी के कारण। चिकित्सकीय उपचार के साथ-साथ दाता और ग्राही दोनों की मानसिक तैयारी, नियमित फॉलो-अप, काउंसलिंग और दवाओं का कड़ाई से पालन दीर्घकालिक ग्राफ्ट सर्वाइवल, बेहतर दीर्घायु, स्वतंत्रता और मरीजों की जीवन गुणवत्ता में सुधार के लिए आवश्यक है।”
सत्र का समापन प्रिवेंटिव न्यूरोलॉजिकल स्क्रीनिंग, जोखिम-आधारित किडनी आकलन और मणिपाल हॉस्पिटल्स में उपलब्ध मल्टीडिसिप्लिनरी उपचार सेवाओं पर इंटरैक्टिव चर्चाओं के साथ हुआ। साथ ही, मीडिया प्रिविलेज कार्ड का शुभारंभ किया गया, जिससे पत्रकारों को अस्पताल की सुविधाओं तक बेहतर पहुंच और विशेष लाभ मिल सकेंगे।
