धर्म मर्यादा है, श्रीराम का जीवन मर्यादित स्वरूप है । – स्वामी त्र्यंबकेश्वर चैतन्य जी महाराज

कोलकाता । करपात्री जी फाउंडेशन की ओर से स्वामी त्र्यंबकेश्वर चैतन्य जी महाराज ने गोविन्द भवन में भक्तों का मार्गदर्शन करते हुए कहा सनातन धर्म में युग एवम् अवतार की प्रधानता है । युग परिवर्तन एवम् श्रीराम, श्रीकृष्ण अवतार पर कहा सनातन हिन्दू धर्म की मान्यता अनुसार धर्म एवम् भक्तों की रक्षा के लिये भगवान अवतरित होते हैं । समाज में धर्म मर्यादा, और वैदिक सनातन धर्म सिद्धांत की स्थापना भगवान के अवतार का उद्देश्य है । धर्म मर्यादा है, श्रीराम का जीवन मर्यादित स्वरूप है । स्वामी त्र्यंबकेश्वर चैतन्य जी महाराज ने कहा रामकथा कामधेनु के समान है, जो सुनने और मनन करने से सांसारिक और आध्यात्मिक सुख देती है । रामकथा श्रवण करने से व्यक्ति सांसारिक लोक में रहते हुए भी आत्मीय सुख का अनुभव कर सकता है । तकरीबन 500 वर्ष के संघर्ष के बाद अयोध्या में श्रीराम मन्दिर की प्राण प्रतिष्ठा को राष्ट्रवाद के रूप में देखा जा रहा है, दुनिया में भारत का मान बढ़ा है । राष्ट्रीय एवम् सामाजिक स्तर पर सनातन हिन्दू धर्म के प्रति धार्मिक निष्ठा, जागरूक समाज से सात्विकता बढ़ी, सदाचार बढ़ा है । स्वामी जी ने कहा जीवन में मर्यादित आचरण से सकारात्मक सोच, विचार होते हैं । ब्रह्मचारी प्रणवानंद चैतन्य महाराज, आचार्य सागर महाराज, आचार्य आदर्श महाराज, शास्त्री विश्वजीत शर्मा एवम् श्रद्धालु भक्त उपस्थित थे ।

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