कोलकाता। पश्चिम बंगाल के राजनीतिक हलकों में मंगलवार को उस समय हलचल मच गई जब राजभवन ने सांसद श्री कल्याण बनर्जी के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि सांसद ने ऐसे कार्य किए हैं जो भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा 151, 152, 197, 196 (1)(a)(b), 353 (1)(b)(c) और 353 (2) के तहत दंडनीय हैं। इन धाराओं में अधिकतम सात वर्ष तक की सजा का प्रावधान है।
राजभवन की ओर से दाखिल इस शिकायत को संज्ञान में लेते हुए पुलिस ने बताया कि मामले में दर्ज धाराएं संज्ञेय (कॉग्निजेबल) और गैर-जमानती श्रेणी की हैं। शिकायत की विस्तृत जांच की जा रही है और आवश्यक दस्तावेज एकत्र किए जा रहे हैं।
इस ताज़ा कार्रवाई से पहले शनिवार को सांसद बनर्जी ने मीडिया से बातचीत में आरोप लगाया था कि राजभवन बीजेप समर्थित असामाजिक तत्वों को संरक्षण दे रहा है, उन्हें हथियार और बम उपलब्ध कराये जा रहे हैं तथा तृणमूल कार्यकर्ताओं पर हमलों के निर्देश दिये जा रहे हैं। इस बयान को राजभवन ने भड़काऊ, गैरजिम्मेदाराना और तथ्यहीन बताते हुए कोलकाता पुलिस को प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू करने का निर्देश दिया था। चेतावनी दी गयी थी कि आदेश का पालन न होने पर राज्यपाल अपने अधिकार क्षेत्र के अनुरूप कदम उठा सकते हैं।
पुराने विवाद के बीच राज्यपाल ने अपना दौरा संक्षिप्त कर सोमवार को कोलकाता लौटते ही कोलकाता पुलिस, राजभवन पुलिस चौकी, सीआरपीएफ बम स्क्वॉड और डॉग स्क्वॉड को बुलाकर राजभवन परिसर में व्यापक तलाशी अभियान चलाने का निर्देश दिया था। अभियान का नेतृत्व स्वयं राज्यपाल ने किया और इसे प्रत्यक्ष प्रसारण के माध्यम से जनता के सामने रखा गया। राजभवन ने साफ कहा था कि इन आरोपों से न केवल संवैधानिक पद की गरिमा को ठेस पहुंची है बल्कि कोलकाता पुलिस की विश्वसनीयता पर भी प्रश्नचिह्न लगा है, क्योंकि राजभवन की सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस के पास है।
बताया जा रहा है कि मामला राज्यपाल से जुड़े एक सार्वजनिक बयान और शिष्टाचार संबंधी विवाद से जुड़ा है। हालांकि, सांसद की ओर से अब तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। राजनीतिक हलकों में इसे राज्य सरकार और राजभवन के बीच बढ़ते तनाव का ताज़ा उदाहरण माना जा रहा है।
