
कोलकाता, ०८ नवम्बर २०२५: साई इंटरनेशनल स्कूल, जो भारत के प्रमुख K-12 स्कूलों में से एक है, ने इस साल भी फाउंडर’s मेमोरियल सीरीज़ के तहत “A Journey of Purpose” नाम से ०४वां फाउंडर’s मेमोरियल टॉक आयोजित किया। यह कार्यक्रम उनके प्रेरणादायक फाउंडर, डॉ. बिजया कुमार साहू के जीवन और योगदान को याद करने के लिए आयोजित किया गया।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता थे गुरुजी डॉ. चंद्र भानु सतपथी, जो एक प्रसिद्ध विद्वान, आध्यात्मिक चिंतक और मानवतावादी हैं। उनकी प्रभावशाली स्पीच ने हज़ारों छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों को जीवन में करुणा, जागरूकता और उद्देश्य के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
यह कार्यक्रम डॉ. साहू के उस सपने को याद करता है जिसमें शिक्षा सिर्फ किताबों तक सीमित न रहकर, मूल्य, इंसानियत और जीवन के उद्देश्य को जोड़ती है। इस साल अगस्त से अक्टूबर २०२५ तक विभिन्न क्रिएटिव, सर्विस और रिफ्लेक्टिव प्रोजेक्ट्स के ज़रिये पूरे स्कूल के बच्चों ने इस मेमोरियल सीरीज़ में हिस्सा लिया। अंत में यह समारोह मेमोरियल टॉक के साथ सम्पन्न हुआ, जहां बड़ी संख्या में साईoneers शामिल हुए।
एक खास पल तब आया जब गुरुजी डॉ. चंद्र भानु सतपथी ने लेट डॉ. बिजया कुमार साहू के जीवन और उनकी लिगेसी पर आधारित कॉफी टेबल बुक लॉन्च की। इस दौरान उनके साथ थीं सुश्री विजिशा साहू, श्री विशाल आदित्य साहू, फाउंडर’s ऑफिस, साई इंटरनेशनल एजुकेशन ग्रुप के सदस्य और डॉ. सिल्पी साहू, चेयरपर्सन, साई इंटरनेशनल एजुकेशन ग्रुप। यह बुक डॉ. साहू की जीवन यात्रा, एक विजनरी लीडर के रूप में उनका काम, और शिक्षा के क्षेत्र में उनके मिशन को दर्शाती है।
अपने प्रेरणादायक संबोधन में गुरुजी ने कहा, “जीवन का असली मतलब केवल उपलब्धियों से नहीं, बल्कि उससे है कि आप दूसरों की ज़िंदगी में कितना उजाला लाते हैं। सच्ची शिक्षा इंसान के दिमाग और दिल, दोनों को जगाती है। डॉ. बिजया कुमार साहू इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं।”
गुरुजी ने डॉ. साहू को याद करते हुए कई भावनात्मक किस्से भी साझा किए। उन्होंने बताया कि कैसे एक सूनी बंजर ज़मीन को, विश्वास, मेहनत और सेवा की सोच से एक शानदार शिक्षा संस्थान में बदला गया। उन्होंने पूरे आयोजन की बेहतरीन व्यवस्था की भी सराहना की और कहा कि यह फाउंडर के मूल्यों को दर्शाता है।
गुरुजी ने ‘सेवा’ यानी निस्वार्थ सेवा पर जोर देते हुए कहा कि असली महानता दूसरों की मदद करने में है।
पूरा दर्शक वर्ग भावुक हो गया जब गुरुजी ने आत्म-चेतना, कृतज्ञता और अंदरूनी विकास के महत्व की बात की। उन्होंने कहा कि असली शिक्षा सिर्फ पढ़ाई नहीं, बल्कि इंसान का चरित्र और जीवन का उद्देश्य भी बनाती है — और यही साई की सोच है।
डॉ. सिल्पी साहू, चेयरपर्सन, साई इंटरनेशनल एजुकेशन ग्रुप ने कहा, “फाउंडर’s मेमोरियल टॉक हमारे लिए बहुत खास है। यह हमें हमारे फाउंडर की सोच और मूल्यों की याद दिलाता है। उनका सपना था ऐसे ग्लोबल लीडर्स बनाना जिनमें खुशियाँ, इंसानियत और एम्पैथी हो। आज गुरुजी के शब्दों ने उसी दिशा में हमें और मजबूत किया है।”
इस मौके पर सुश्री विजिशा साहू और श्री विशाल आदित्य साहू ने भी अपने पिता की यादें साझा कीं। उन्होंने कहा, “पापा हमेशा एक सपना देखते थे — ऐसी शिक्षा जो मायने रखे, जो बच्चों को खुश रखे। वे एक सफल चार्टर्ड एकाउंटेंट थे, लेकिन उन्हें लगता था कि ज़िंदगी में कुछ अधूरा है। जब उन्होंने साई की कल्पना की, तभी उन्हें अपनी असली राह मिली। साई सिर्फ उनका काम नहीं, उनका जीवन का उद्देश्य था।”
उन्होंने अपने पिता के प्यार, मार्गदर्शन और मजबूत विश्वास को याद किया और कहा कि वही आज उन्हें आगे बढ़ने की ताकत देता है।
कार्यक्रम में छात्रों के साथ इंटरैक्टिव सेशन भी हुआ, जहाँ गुरुजी ने उनके सवालों के जवाब दिए।
छात्र तरुण ने पूछा, “युवाओं के लिए ह्यूमिलिटी और एम्पैथी कितनी ज़रूरी है?”
गुरुजी ने समझाया कि एम्पैथी का मतलब दूसरों को समझना है, सिर्फ दया करना नहीं।
एक छात्र ने पूछा, “आज की जेनरेशन में सेवा कैसे लाई जाए?”
गुरुजी ने कहा, “माता-पिता इसमें बड़ी भूमिका निभाते हैं। बच्चों को बचपन से मदद और सेवा की आदत सिखानी चाहिए।”
एक और साईओनियर्स ने पूछा, “सफलता के लिए एक कीवर्ड क्या है?”
गुरुजी बोले, “पहले अपने टीचर्स की सुनो, फिर अपने पैरेंट्स की — वही आपके सबसे बड़े गुरु हैं।”
फाउंडर’s मेमोरियल सीरीज़ हर साल डॉ. साहू के सपने को याद करती है — एक ऐसा एजुकेशन सिस्टम, जिसमें खुशी, उद्देश्य और ह्यूमन कनेक्शन हो। हर साल साईओनियर्सपुनः अपनी प्रतिज्ञा दोहराते हैं कि वे इन मूल्यों को दुनिया में फैलाएँगे।
