जीटीए चुनाव में हाईकोर्ट का हस्तक्षेप से इनकार

 

कोलकाता । कलकत्ता हाईकोर्ट ने सिलीगुड़ी के गोरखा टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) के चुनाव पर रोक लगाने संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है। न्यायमूर्ति मौसमी भट्टाचार्य की एकल पीठ ने शुक्रवार को निर्देश दिया है कि तय समय पर जीटीए के चुनाव होंगे। उसमें कोई बाधा नहीं दी जाएगी। इसके साथ ही न्यायाधीश ने यह भी कहा कि शनिवार को भी मामले की सुनवाई होगी। याचिकाकर्ता जीएनएलएफ ने जो तमाम मुद्दों को उठाया है उस पर भी विस्तार से सभी पक्षों को सुना जाएगा।
याचिकाकर्ता ने कहा कि जीटीए चुनाव से पहले राज्य सरकार को गोरखालैंड प्रादेशिक प्रशासन अधिनियम 2011 की वैधता पर फैसला करना होगा। जीएनएलएफ की ओर से मामला दर्ज कराया गया है। उसने इस संबंध में कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की है।

पहाड़ में 2017 में हुए हंगामे के बाद से जीटीए का काम ठप पड़ा है। उस समय जीटीए के अध्यक्ष गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के प्रमुख बिमल गुरुंग थे। बिमल एक पुलिस अधिकारी की गोली मारकर हत्या करने वालों में से एक थे। जीटीए को बाद में भंग कर दिया गया था। बाद में, बिमल गुरुंग के साथ तृणमूल कांग्रेस के संबंध और घनिष्ठ हो गए। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान पहाड़ में एक नया राजनीतिक समीकरण बना था। बिमल गुरुंग ने स्पष्ट किया था कि गोरखालैंड के मुद्दे पर भाजपा ने पहाड़ी लोगों को धोखा दिया है। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस से समझौता करने का संकेत दिया।

उसके बाद मुख्यमंत्री ने कहा, जीटीए पर जल्द से जल्द मतदान होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि मतदान जून में होगा। इस बीच कुछ दिन पहले गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के प्रमुख बिमल गुरुंग ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर गोरखा भूमि विवाद का समाधान करने को कहा था। पत्र में उन्होंने आरोप लगाया कि 2011 में राज्य सरकार के साथ हुए समझौते की कई शर्तों का पालन नहीं किया गया। गुरुंग ने इससे पहले दार्जिलिंग जिले के प्रभारी मंत्री अरूप विश्वास को एक पत्र लिखा था, जिसमें यह आरोप लगाया गया था।

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