कल्चरल एंड लिटरेरी फोरर्म ऑफ़ बंगाल की ओर से प्रख्यात कवि शैलजानंद मुखर्जी की याद में साहित्यिक कार्यक्रम का आयोजन

रानीगंज।  रानीगंज के लायंस क्लब सभागार में कल्चरल एंड लिटरेरी फोरर्म ऑफ़ बंगाल की ओर से आज बंगाल के प्रख्यात कवि शैलजानंद मुखर्जी की याद में एक साहित्यिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया कार्यक्रम के बारे में पत्रकारों से बात करते हुए संगठन के कर्णधार जितेंद्र तिवारी ने कहा कि पिछले तीन सालों से उनके संगठन की तरफ से इस तरह का कार्यक्रम किया जा रहा है ताकि जिन साहित्यकारों के बारे में बंगाल की नई पीढ़ी भुलती जा रही है उन्हें फिर से याद किया जा सके हम उनकी रचनाओं को फिर से पढ़ें उनकी रचनाओं से वाकिफ हों इसी सोच को ध्यान में रखते हुए आज यहां पर यह कार्यक्रम किया जा रहा है उन्होंने कहा कि जिस शैलजानंद मुखर्जी की याद में यह कार्यक्रम किया जा रहा है वह अंडाल के भूमिपुत्र थे काजी नज़रुल के साथ उन्होंने एक साथ पढ़ाई की थी उनकी याद में आज कार्यक्रम किया जा रहा है जितेंद्र तिवारी ने साफ कहा कि यह पूरी तरह से गैर राजनीतिक कार्यक्रम है यहां पर तकरीबन 65 कवि लेखक साहित्यकार आए हैं और यह सभी विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं से प्रभावित हैं लेकिन यहां पर वह सिर्फ एक साहित्यकार के रूप में आए हैं जितेंद्र तिवारी ने कहा कि यहां इस कार्यक्रम को करने का उद्देश्य यह है कि रानीगंज जमुरिया अंडाल पांडवेश्वर आदि जगहों पर जो साहित्यकार हैं जो नए कवि या लेखक हैं जिनको मंच नहीं मिलता उनको एक मंच प्रदान करना है वही भाषा के नाम पर आजकल जो विवाद चल रहा है उस पर जितेंद्र तिवारी ने कहा कि कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर बंकिम चंद्र चटर्जी शरत चंद्र चटर्जी काजी नज़रुल इस्लाम जैसे महान साहित्यकारों ने कभी भाषा पर विवाद नहीं किया क्योंकि इन्होंने सही मायने में भाषा को लेकर काम किया है जिनका काम सिर्फ भाषा को लेकर राजनीति करना है वही भाषा पर विवाद कर रहे हैं

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