पश्चिम बंगाल मंत्री का बीजेपी पर वार, फंड दो, 2026 जीतने का भ्रम छोड़ो

कोलकाता, 08 अगस्त । पश्चिम बंगाल के सिंचाई मंत्री मानस रंजन भुइयां ने शुक्रवार को केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह बीरभूम जिले में स्थित तिलपाड़ा बैराज के पुनर्निर्माण में राज्य सरकार की मदद नहीं कर रही है। भारी बारिश के बीच राज्य सरकार लोगों और बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के लिए तत्काल मरम्मत कार्य कर रही है, लेकिन केंद्र का रवैया असहयोगी है।

भुइयां ने राज्य के भाजपा नेताओं से अपील की कि वे 2026 के चुनाव में सत्ता में आने के “ख्वाब देखना” छोड़कर, अगर वास्तव में बंगाल के लोगों के प्रति संवेदनशील हैं तो रोके गए केंद्रीय फंड को जारी कराने में मदद करें। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को “परेशानी” में डालने और बंगाल की अर्थव्यवस्था को “अस्थिर” करने की कोशिश कर रही है।

मंत्री ने दावा किया कि केंद्र ने राज्य के 1.77 लाख करोड़ रुपये रोक रखे हैं। उन्होंने भाजपा सांसदों और विधायकों को चुनौती दी –”जुलूस निकालकर प्रधानमंत्री और जल शक्ति मंत्री से कहें –बंगाल का पैसा दो, बंगाल का पैसा दो।”

भुइयां ने बताया कि 1950-51 में बने तिलपाड़ा बैराज में दरारें आ गई हैं और कुछ हिस्से नीचे धंस गए हैं, जिससे पानी का प्रवाह असंतुलित हो गया है और संरचना पर ज्यादा दबाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र के सहयोग के बिना भी हमलोगों के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। शनिवार से राज्य की सरकारी इंजीनियरिंग कंपनी मैकिन्टॉश बर्न लिमिटेड के जरिए तुरंत मरम्मत कार्य शुरू किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि केंद्रीय जल आयोग के निदेशक शनिवार को पहुंचेंगे, जिनसे परामर्श लिया जाएगा, साथ ही आईआईटी-रुड़की के विशेषज्ञ प्रो. जे अहमद से भी तकनीकी सहयोग जारी रहेगा। सुरक्षा को देखते हुए बैराज पर वाहनों की आवाजाही सिर्फ मोटरसाइकिल और एंबुलेंस तक सीमित कर दी गई है।

भुइयां ने स्पष्ट किया कि 21 करोड़ रुपये की लागत वाले इस मरम्मत कार्य का पूरा खर्च राज्य सरकार उठा रही है, क्योंकि केंद्र ने विश्व बैंक समर्थित मॉडल को मंजूरी नहीं दी, जिससे 70 प्रतिशत लागत मिल सकती थी। जून के मध्य से शुरू हुई भारी बारिश के कारण पहले से पूरा हो चुका बड़ा हिस्सा फिर से क्षतिग्रस्त हो गया है।

मंत्री ने जनता से समर्थन की अपील करते हुए कहा कि ममता बनर्जी के नेतृत्व में प्रशासन पूरी तरह सतर्क है और हर उपलब्ध मशीनरी व इंजीनियरिंग संसाधन का इस्तेमाल किया जा रहा है।

भुइयां ने मैथन और पंचेत बांधों का भी जिक्र किया और आरोप लगाया कि वहां से अंधाधुंध पानी छोड़ा जा रहा है, जिसका कारण डीवीसी प्रणाली में लंबे समय से जमा गाद है, जिसने जल भंडारण क्षमता को काफी घटा दिया है। उन्होंने तत्काल ड्रेजिंग (गाद निकासी) की जरूरत पर जोर दिया।

उन्होंने घाटाल मास्टर प्लान का भी हवाला देते हुए कहा कि राज्य सरकार ने इस परियोजना में लगातार प्रगति की है और फंड भी आवंटित किए हैं, जबकि केंद्र ने इसे सालों पहले छोड़ दिया था, जबकि शुरुआत में मदद का आश्वासन दिया गया था।

 

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