कोलकाता । सत्संग भवन में पधारे दण्डीस्वामी ब्रह्माश्रम जी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा सुख एवम् दुःख मानव जीवन के दो पहलू हैं । आत्मीय सुख के लिये कर्म फल का त्याग करना चाहिये । हरिद्वार से पधारे ब्रह्माश्रम जी महाराज ने कहा व्यक्ति के कर्म उसके भविष्य को निर्धारित करते हैं । अच्छे कर्म दूसरों के जीवन में खुशी लाते हैं, साथ ही स्वयं के लिए भी सकारात्मक परिणाम उत्पन्न करते हैं । ये कर्म परस्पर स्नेह – प्रेम, सेवा – परोपकार जैसे गुणों पर आधारित हैं । अपने वर्तमान कर्मों को सुधारकर और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाकर, व्यक्ति सुखी जीवनयापन करता है । सत्संग की प्रेरणा देते हुए कहा जो परमात्मा को सर्वत्र देखता है उसके जीवन में दुःख का नाश होता है, सुख – शान्ति कायम रहती है । राजू शर्मा, अभय पाण्डेय, सज्जन वर्मा एवम् श्रद्धालु भक्तों ने स्वामी जी का स्वागत किया । सत्संग भवन के ट्रस्टी पण्डित लक्ष्मीकांत तिवारी, दीपक मिश्रा ने श्रद्धालु भक्तों से दैनिक कथा – प्रवचन में उपस्थित रह कर पुण्य अर्जित करने का निवेदन किया ।