पेट की खातिर दूसरे राज्य में काम पर गए श्रमिक का निर्जीव शरीर लौटा

पुरुलिया: परिवार का पालन-पोषण करने के लिए दूसरे राज्य चले श्रमिक का पार्थिव शरीर करीब दो महीने बाद घर लौटने पर परिवार का रो रो कर बुरा हाल हुआ।
जानकारी के अनुसार पुरुलिया शहर का रहने वाला करीब 35 वर्षीय रामदास सोरेन अपने बुजुर्ग माता-पिता, पत्नी और दो बेटियों सहित
अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए दूसरे राज्य तमिलनाडु चले गए थे। लगभग दो महीने बाद मंगलवार की रात रामदास घर लौटे
लेकिन ताबूत में बंद। जैसे ही शव घर पहुँचा, दोनों बेटियां बाबा बाबा रट लगाते हुए फुट फुट कर रोती हुई पिता के बेजान शरीर से लिपट गई। उधर, आँगन के दोनों ओर पिता और माँ मूकदर्शक बने रामदास के ताबूत में बंद शरीर को देख रहे थे। उसी समय, एक महिला रिश्तेदार रामदास की बेहोश पत्नी को गले लगा रही थी। परिवार और स्थानीय लोग अपने प्रियजन के जाने के गम में डूबे हुए थे।

उल्लेखनीय है कि रामदास सोरेन अपने बुजुर्ग माता-पिता, पत्नी और दो बेटियों के परिवार में अकेले कमाने वाले थे। इलाके में काम न मिलने के कारण रामदास कुछ महीने पहले दूसरे राज्य तमिलनाडु चले गए थे। लेकिन पिछले बुधवार को अचानक एक फ़ोन कॉल ने परिवार में मातम छा दिया। उसी रात घर पर फ़ोन की घंटी बजी और बताया गया कि 35 वर्षीय रामदास सोरेन नहीं रहे। उनकी मृत्यु हो गई।
हालांकि, परिवार को अभी तक मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है। मृतक रामदास सोरेन के पिता गुरुपद सोरेन ने बताया कि शुरुआत में बताया गया था कि रामदास खाना बना रहा था। उसी दौरान उसकी अचानक तबियत खराब हो गई। इसके बाद स्थानीय लोगों को इसकी जानकारी हुई और वे उसे नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले गए, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई।

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