– ‘स्टेज परिचय 2025′ में बच्चों ने मंच पर प्रस्तुत की कहानियाँ, संस्कार और शक्ति का भव्य रूप
कोलकाता, 1 जुलाई : ‘संस्कृति परिचय’ और ‘नेक्स्ट सीन’ की ओर से संयुक्त रूप से रोटरी क्लब बेलूर की सहभागिता में ‘स्टेज परिचय 2025’ का आयोजन किया गया। यह एक सांस्कृतिक आयोजन था, जिसमें दादी–नानी की कहानियों की गहराई को नाट्य, कथाकथन और भारतीय परंपरा की प्रस्तुति के माध्यम से आज की पीढ़ी तक लाया गया।
आज के डिजिटल युग में बच्चे जब परिवार की बातों और रिश्तों की अहमियत से दूर होते जा रहे हैं, ऐसे दौर में स्टेज परिचय ने स्क्रीन से कहानी तक, स्वाइप से श्लोक तक और निष्क्रिय देखने से सक्रिय अनुभूति तक उन्हें वापस जोड़ा। इस कार्यक्रम में श्लोकों की ध्वनि, कहानियों की सीख, और मनमोहक संवाद सभी के मन में उतर गए।
कार्यक्रम की शुरुआत संस्कृत श्लोकों से हुई 4 से 14 वर्ष के बच्चों की एकसाथ गूंजती आवाज़ों ने रोटरी सदन को पवित्रता से भर दिया। यह केवल उद्घोषणा नहीं थी। यह आत्मा का स्पर्श था।इसके बाद मंच पर विविध रंग में बच्चों ने दो शिक्षाप्रद नाटक, जिनमें नैतिक मूल्य हास्य और संवेदना के साथ प्रस्तुत किए। इसके साथ राम–परशुराम संवाद, जहाँ धर्म, संयम और क्रोध की टकराहट ने इस पूरी कथा को जीवंत कर दिया।इसके बाद कल्कि अवतार की भविष्यद्रष्टा की प्रस्तुति की गई, जिसमें वर्तमान के अंधकार में एक साहसी चेतावनी भरी रौशनी बनकर उभरी।
इनके बीच एक अद्भुत क्षण आया, जब एक अकेली मासूम पूरी बच्ची ने मंच पर नवरस की बेहतरीन प्रस्तुति की। इसमें श्रृंगार, हास्य, करुणा, रौद्र, वीर, भयानक, बीभत्स, अद्भुत और शांति भरे नौ भावों को उसने केवल हावभाव और मौन से जीवित कर दिया। इस कलात्मक प्रस्तुति को दर्शकों ने सिर्फ देखा नहीं बल्कि उन्होंने भीतर तक महसूस किया।
कार्यक्रम का सबसे प्रभावशाली भाग काली और कल्कि के बीच विनाश और पुनर्जन्म की बहस का संवाद था। “क्या संसार सुधार के क्षेत्र से बाहर हो गया है?” और “क्या अंधकार ही भविष्य में रोशनी की तैयारी है?” जैसे प्रश्न बच्चों के मुख से सुनकर पूरा सभागार मौन और स्तब्ध हो गया।
कार्यक्रम का समापन “ओ कान्हा, अब तो मुरली की” जैसे भावपूर्ण गीत से हुआ, जिसने पूरे माहौल को भावुकता और श्रद्धा से भर दिया। इसके बाद सभी प्रतिभागी बच्चों को प्रमाण पत्र देकर उनके उत्साह और योगदान को सम्मानित किया गया।
स्टेज परिचय केवल मंचीय उत्सव नहीं था, बल्कि यह बच्चों की सीखने की यात्रा की शुरुआत भी थी, जिसमें, आत्मविश्वास का निर्माण, संचार कौशल का विकास, कल्पनाशक्ति का विस्तार, सामूहिक सहयोग और अनुशासन को प्रोत्साहित किया गया।
शुभा चुड़ीवाल (संस्थापक, संस्कृति परिचय) ने इस मौके पर कहा, 19 वर्षों की इस यात्रा और मंच पर हुई विभिन्न प्रस्तुतियों ने बच्चों के आत्मविश्वास को हमेशा बढ़ावा दिया है। मैं अपने सामाजिक परिवेश में देखती हूँ कि कितने ही कुशल लोग मंच पर आते ही सहम जाते हैं। बच्चों को ये मंच देना, उन्हें संवारने और राष्ट्रप्रेम की भावना जागृत करने का प्रयास है। इन बच्चो की दृष्टा के कारण यह आयोजन सफल हो सका।
मौके पर कर्तिकेय त्रिपाठी (संस्थापक, मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं रचनात्मक प्रमुख, नेक्स्ट सीन) ने कहा, रंगमंच बच्चों को केवल मंच पर नहीं बल्कि अपने जीवन में भी अपने संस्कार और परिचय बनाने में मदद करता है। स्टेज परिचय के ज़रिए हम उन्हें उन कहानियों से जोड़ना चाहते हैं, जिनमें ज्ञान भी है और विस्मय भी। स्क्रीन के इस युग में ऐसे अनुभव बच्चों के भीतर गहराई, अनुशासन और संवाद की संस्कृति लौटाते हैं।
अनुषा जालान सिंघानिया (सह-संस्थापक एवं वित्त एवं संचालन निदेशक, नेक्स्ट सीन),रोहित बासफोर (सह-संस्थापक एवं वित्त एवं संचालन निदेशक, नेक्स्ट सीन) ने कार्यक्रम को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई।
संस्कृति परिचय का संक्षिप्त परिचय:
शुभा चुरिवाल द्वारा 2007 में स्थापित यह संस्था बच्चों को श्लोक, भजन, पौराणिक कथाओं और मंच के ज़रिए भारतीय संस्कृति से जोड़ती है। 4,000 से अधिक छात्रों को शिक्षित कर यह अबतक 20 से ज़्यादा प्रस्तुतियाँ दे चुकी है।
नेक्स्ट सीन का संक्षिप्त परिचय:
नेक्स्ट सीन एक नया रंगमंच मंच है, जो भारतीय कथाओं को नई पीढ़ी के सामने सशक्त थिएटर के माध्यम से लाता है।