बराकर । बराकर सहित आसपास के क्षेत्र की सुहागिन महिलाओं ने अपने पति के दीर्घायु तथा समृद्धि पूर्ण जीवन की कामना को लेकर बट सावित्री की पूजा किया । इस दौरान सुहागिन महिलाओं ने बराकर नदी तट स्थित पुराने बट वृक्ष के नीचे तथा बराकर गायत्री शक्तिपीठ स्थित बट वृक्ष के अलावे कई मंदिरों तथा अन्य स्थानों पर लगे हुए पुराने बट वृक्ष को विधिवत पूजा अर्चना किया । इस संबंध में बताया जाता है कि ज्येष्ठ मास के व्रतों में बट अमावस्या का यह व्रत बहुत ही प्रभावी माना जाता है । जिसमें सौभाग्यवती स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु एवं सभी प्रकार की सुख समृद्धि की कामना करते हुए इस व्रत को करती है । इस दिन महिलाएं प्रातः सुबह स्नान आदि से निवृत होकर उपवास रखकर बट वृक्ष के पास पहुंचती है ।जहां धूप दीप नैवेद्य से विधिवत पूजा अर्चना करती है तथा रोली अक्षत चावल आदि चढ़ाकर बट वृक्ष पर कलावा बांधती है । इसके साथ ही हाथ जोड़कर बट वृक्ष की परिक्रमा करती है । धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को करने से पति के जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बढ़ाएं दूर होती है तथा उसके जीवन में सुख समृद्धि लंबी आयु की प्राप्ति होती है । पौराणिक कथाओं के अनुसार बट वृक्ष के नीचे सावित्री ने अपने मृत पति सत्यवान को व्रत के प्रभाव से पुनः जीवित किया था । तभी से इस व्रत को बट सावित्री व्रत के नाम से जाना जाता है । इस दिन ब्रह्मा सावित्री सत्यवान यह आदि की पूजा की जाती है । इस व्रत में महिलाएं सोलह सिंगार या पूर्ण सिंगार करके सावित्री सत्यवान की पुण्य कथा का श्रवण कर पूजा अर्चना करती है ।